लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की अपील, सांसद में नियमों का पालन करें सांसद

Parliamentary Speaker Sumitra Mahajan appeals, MPs follow the rules in Parliament
[email protected] । Jun 22 2018 5:26PM

लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज कहा कि सांसदों को महसूस करना चाहिए कि लोग संसद में अक्सर होने वाले व्यवधान को देख रहे हैं और वे चुनाव के समय ‘‘उचित फैसला’’ करेंगे।

नयी दिल्ली। लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज कहा कि सांसदों को महसूस करना चाहिए कि लोग संसद में अक्सर होने वाले व्यवधान को देख रहे हैं और वे चुनाव के समय ‘‘उचित फैसला’’ करेंगे। संसद के मानसून सत्र के अगले महीने शुरू होने की संभावना है। ‘‘क्षुब्ध’’ दिख रही सुमित्रा महाजन ने कहा कि संसद ‘‘चर्चा, बहस और फैसला’’ करने का स्थान है तथा सांसदों को नियमों का पालन करना चाहिए।

सुमित्रा महाजन विजन इंडियन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यशाला को यहां संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन व्यवधान हो रहा है। सांसदों के सदन में आसन के समीप आने के बारे में पूछे जाने पर लोकसभाध्यक्ष ने कहा कि सभी सांसद अपनी पार्टियों के एजेंडे का पालन करते हैं और फैसले उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा किए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ सभी सांसदों को नियमों की पुस्तिका दी गयी है, उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए। जब व्यवधान के कारण सदन स्थगित हो जाता है तो इससे मुझे पीड़ा होती है और दुख होता है। संसद में सुचारु तरीके से कार्य हो, यह सुनिश्चित करना सभी पार्टियों के नेताओं की भी ज़िम्मेदारी है। 

उन्होंने संसद में चर्चा और बहस की प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से बात की और सुझाव दिया कि नेताओं को दोनों सदनों में अक्सर होने वाले व्यवधानों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, "सांसदों को यह महसूस करना चाहिए कि लोग उन्हें देख रहे हैं। और, वे पांच साल बाद उचित फैसला लेंगे। लोकसभाध्यक्ष ने मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि वह संसद में अच्छे भाषणों और बहसों की अनदेखी करता है और केवल व्यवधान पर जोर देता है।

महिला आरक्षण विधेयक की समर्थक सुमित्रा महाजन ने एकत्र लोगों से कहा कि वे वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों द्वारा किए गए कार्यों की गुणवत्ता पर गौर करें। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी संसद और राज्य विधायिकाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए "सम्मानजनक तरीके से" विधेयक पारित करने की खातिर एक साथ आने की अपील की। लोकसभा में 2018 के बजट सत्र में व्यवधान के कारण 127 घंटों से ज्यादा समय का नुकसान हुआ और सदन को अनिश्चिकाल के लिए स्थगित किए जाने के पहले 29 बैठकों में सिर्फ 0.58 प्रतिशत तारांकित प्रश्नों के ही उत्तर दिए गए। 

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