मोदी सरकार में जनता कच्चे तेल के घटे दाम के लाभ से वंचित, कोई अन्य देश ऐसा नहीं कर रहा: मोइली

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एक प्रेस वक्तव्य में मोइली ने कहा पेट्रोल का दाम 71.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 55.49 रुपये प्रति लीटर उस समय था जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग- दो) के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 107.09 डालर प्रति बैरल की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंचे थे।

नयी दिल्ली। दुनिया भरमें सरकारें इस समय अपने यहां जब उपभोक्ताओं को विश्व बाजार में कच्चे तेल के घटे दाम का लाभ उपलब्ध करा रही हैं, लेकिन भारत में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की लागत में कमी का जनता को कोई लाभ नहीं दिया है। यह कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली का। मोइली ने मंगलवार को कहा कि देश में मोटर वाहन ईंधन की दरें उस समय के स्तर पर कायम हैं जब विश्व बाजार में कच्चे तेल का दाम 107 डालर प्रति बैरल की ऊंचाई पर था। एक प्रेस वक्तव्य में मोइली ने कहा पेट्रोल का दाम 71.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 55.49 रुपये प्रति लीटर उस समय था जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग- दो) के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 107.09 डालर प्रति बैरल की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंचे थे। इस समय जब कि कच्चे तेल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 36.29 डालर प्रति बैरल पर है पेट्रोल का दाम 71.26 रुपये लीटर और डीजल का दाम 65.39 रुपये लीटर पर है। वक्तव्य में कहा गया है कि मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार के लाभ को आम जनता तक नहीं पहुंचने दिया। सरकार ने पिछले दो माह के दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया।यही वजह है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाने के बाद भी भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई कमी नहीं आई। मोइली ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के किसी भी देश में लोगों को तेल के दाम में आई भारी गिरावट के लाभ से वंचित नहीं रखा गया। मोइली ने वक्तव्य में कहा, ‘‘जब भारत सहित पूरी दुनिया के अर्थशास्त्री लोगों के हाथ में नकद धन रखने की बात कर रहे हैं, मौजूदा सरकार इसके उलट उन फायदों को भी वापस ले रही है जो कि वैधानिक रूप से लोगों को मिलने चाहिये।’’ 

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मोदी सरकार ने 2014 में जब सत्ता संभाली थी तब पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर था वहीं डीजल पर यह 3.56 रुपये प्रति लीटर की दर से लागू था। वहीं वर्तमान में यह राशि पेट्रोल पर 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है।यह उत्पाद शुल्क में बार बार वृद्धि करने की वजह से हुआ है। मोइली ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग- दो सरकार ने लोगों के हित में उचित निर्णय लेते हुये पेट्रोल, डीजल पर लागू प्रशासनिक मूल्य प्रणाली को समाप्त किया। इसके पीछे सोच यही थी कि बाजार के रुख के अनुरूप घटबढ़ का लाभ आगे लोगों तक पहुंचाया जाये। यह निर्णय अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के तहत लिया गया जिसमें उपभोक्ता और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को ही लाभ पहुंचे। उन्होंने कहा कि कोविड- 19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में संकट को देखते हुये सरकार को लोगों और उपभोक्ताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिये।

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