भारत सरकार का फंड नहीं है PM Cares, दिल्ली HC को PMO का जवाब- इसे 'पब्लिक अथॉरिटी' का लेबल नहीं दिया जा सकता
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पीएमओ के अवर सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड को एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है और यह भारत के संविधान या संसद या किसी राज्य विधानमंडल द्वारा या उसके तहत नहीं बनाया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि पीएम केयर फंड भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "राज्य" नहीं है और सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत "सार्वजनिक प्राधिकरण" के रूप में गठित नहीं है। पीएमओ के अवर सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड को एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है और यह भारत के संविधान या संसद या किसी राज्य विधानमंडल द्वारा या उसके तहत नहीं बनाया गया है।
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यह किसी भी सरकार से वित्त पोषित नहीं है औऱ ट्रस्टी के तौर पर निजी व्यक्ति ही इसका संचालन करते हैं। हलफनामे में कहा गया है कि ट्रस्ट के कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। पीएमओ ने आगे कहा है कि पीएम केयर्स फंड केवल व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा स्वैच्छिक दान स्वीकार करता है और यह कि सरकार के बजटीय स्रोतों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बैलेंस शीट से आने वाले योगदान को स्वीकार नहीं किया जाता है।
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पीएम केयर्स फंड/ट्रस्ट में किए गए योगदान को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत छूट दी गई है, लेकिन यह अपने आप में इस निष्कर्ष को उचित नहीं ठहराएगा कि यह एक "सार्वजनिक प्राधिकरण" है। इसने आगे कहा है कि फंड को सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं कहा जा सकता है। जिस कारण से इसे बनाया गया था वह "विशुद्ध रूप से धर्मार्थ" है और यह कि न तो धन का उपयोग किसी सरकारी परियोजना के लिए किया जाता है और न ही ट्रस्ट किसी भी सरकारी नीतियों द्वारा शासित होता है।
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