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स्वच्छ भारत अभियान के जरिए गांधी जी के सपने को PM मोदी ने किया साकार
- अंकित सिंह
- सितंबर 30, 2019 15:09
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इसके अलावा लगभग 4000 शहरों के ठोस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करना भी स्वच्छ भारत अभियान के बड़े लक्ष्यों में से एक है। वर्तमान में देखा जाए तो स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
हमारे राष्ट्र को जिन दुर्बल करने वाली विषम व्याधियों ने बुरी तरह से ग्रस्त कर लिया था उसमें अस्वच्छता का नाम सर्वोपरि है। अस्वच्छता हमारे राष्ट्रीय विकास के रथ को रोकने वाली वह राक्षसी है जिसको मारे बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं जब हम अपने राष्ट्र को स्वच्छ बनाकर खूबसूरती से इसे आगे बढ़ाएंगे। भारत सरकार से लेकर आम आदमी तक अब स्वच्छता के प्रति पूरी तरह से जागरूक है और राष्ट्र को स्वच्छ करने को लोकर दिलों जान से जुटा हुआ है। परंतु यह चमत्कार ऐसे ही नहीं हुआ इसके लिए सरकार द्वारा चलाए गए जन जागरण कार्यक्रमों ने लोगों पर व्यापक प्रभाव डाला है। कहते हैं कि महात्मा गांधी इस देश की स्वतंत्रता के लिए खूब लड़ें और स्वतंत्र भी कराया पर उनका एक सपना अधूरा रह गया था वह है अपने राष्ट्र को स्वच्छ रखने का।
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महात्मा गांधी के इसी सपने को पूरा करने के लिए 15 अगस्त 2014 को यानि की स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम की घोषणा की थी। लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि महात्मा गांधी ने स्वच्छता को लेकर बहुत काम किया था और उनके इसी सपने को देशवासी भी आगे बढ़ाएंगे। देश को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य से औपचारिक रूप से 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई। हालांकि देश की स्वच्छता को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1999 में ग्रामीण स्वच्छता अभियान शुरू किया था लेकिन सत्ता बदलते ही इस योजना को गर्त में डाल दिया गया। 1 अप्रैल 2012 को मनमोहन सिंह सरकार ने इस योजना में बदलाव करते हुए इसे निर्मल भारत अभियान का नाम दिया। इसका सबसे बड़ा लक्ष्य था कि देश को खुले में शौच से मुक्त बनाना है, वह भी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक। जब देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएगा तब भारत सरकार यह दावा कर रही है कि उसने लगभग 99% ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त कर दिया है।
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इसके अलावा लगभग 4000 शहरों के ठोस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करना भी स्वच्छ भारत अभियान के बड़े लक्ष्यों में से एक है। वर्तमान में देखा जाए तो स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसके अलावा जन जागरण के लिए काफी कुछ लगातार किया जा रहा है। जैसे कि सूखे कचरे को अलग कूड़ेदान में डालना, गीले कचरे को अलग कूड़ेदान में डालना। साथ ही आम लोगों को यह भी कहा जा रहा है कि आप अपना कचरा नगर निगम के द्वारा चलाई जा रही गाड़ियों में ही डाले। इतना ही नहीं, 'चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो' अभियान के तहत ग्राम सभा आयोजित कर जगह-जगह किशोर और किशोरियों को माहवारी के बारे में जानकारी दी जा रही है और खुल कर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य भारत को हरा-भरा बनाना भी है। इस योजना के जरिए नागरिकों की सहभागिता से अधिक-से अधिक पेड़ लगाना, कचरा मुक्त वातावरण बनाना और देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत का निर्माण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा सामाजिक बुराइयों को भी नष्ट करना है। जैसे कि हाथ से मैला साफ करने की परंपरा को खत्म करना।
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इस अभियान का उद्देश्य शहरों और गांवों में Dust Bin लगवाना, सभी घरों में साफ पानी की पूर्ति सुनिश्चित करना, सड़कें, फुटपाथ और बस्तियां साफ रखना भी है। Global warming की भी चुनौतियों से निपटना इसके उद्देश्यों में से एक है। पर सवाल यह भी उठता है कि आखिर हमारे देश में स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, भौतिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिये भारत के लोगों में स्वच्छता के फायदों का एहसास होना बेहद आवश्यक है। और इसी को ध्यान में रखते हुए इस अभियान को इतना प्रचारित और प्रसारित भी किया जा रहा है। इसके प्रचार में करोड़ों खर्च होते है। खुद प्रधानमंत्री ने कभी कुदाल चलाकर तो कभी झाड़ू लगातर लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते है। लेकिन हमारा देश इतना गंदा क्यों है? इसके कई कारण हैं जैसे कि शिक्षा का अभाव, जनसंख्या, घरों में शौचालयो का नहीं होना, अत्यधिक जनसंख्या, उद्योगों का अपशिष्ट पदार्थ, कचरे को सही निस्तारण का अभाव आदि। हालंकि धीरे धीरे देश इन स्थितियों से उबरने की कोशिश जरूर कर रहा है।
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इस साल 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में एक और ऐतिहासिक काम होने जा रहा है जब पूरे राष्ट्र में प्लास्टिक बैन कर दिया जाएगा। इस बारे में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल के स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा था। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अपने इस कदम का उल्लेख UNGA के कार्यक्रम में भी किया था। साथ ही साथ स्वच्छ भारत अभियान के तहत किए जा रहे भारत सरकार के कामों का भी जिक्र प्रधानमंत्री ने किया। पर एक बात जरूर है कि सिर्फ यह काम सरकार का नहीं है, कर्मचारियों का नहीं है बल्कि हम सबकी भागीदारी जरूरी है। हमें अपने फैलाएं कचरे को साफ करने में गुरेज नहीं होना चाहिए। हमें उन लोगों के प्रति भी सम्मान की भावना रखनी चाहिए जो देश को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे रहे हैं। शायद इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले के दौरान स्वछाग्रहियों के पैर धोकर एक खास संदेश देने की कोशिश की थी। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तो देश मना रहा है और अपने राष्ट्र को स्वच्छ करने की बात भी कर रहा है लेकिन आगे अभी कई चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं। उम्मीद करते हैं जब देश आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा तब हम पूर्णत: स्वच्छता की ओर बढ़ चले होंगे।
26 जनवरी को सरकार की परेड में नहीं डालेंगे बाधा, रिंग रोड में करेंगे ट्रैक्टर रैली: किसान नेता
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 20, 2021 12:31
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किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हम 26 जनवरी को सरकार की परेड में बाधा नहीं डालेंगे। हम उनसे कहेंगे कि ट्रैक्टर रैली के लिए रिंग रोड ठीक रहेगा क्योंकि ट्रैक्टर बहुत ज़्यादा होंगे।
नयी दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी बीच बुधवार को किसान संगठनों के नेताओं की दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के उच्च अधिकारियों के साथ मुलाकात होने वाली है। इस मुलाकात में गणतंत्र दिवस के मौके पर (26 जनवरी) किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली से जुड़े मार्गों और उनके इंतजामों पर चर्चा होगी।
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इस मुलाकात से पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि हम हम 26 जनवरी को सरकार की परेड में बाधा नहीं डालेंगे। दरअसल, किसानों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधिकारियों से वार्ता के लिए विज्ञान भवन पहुंचा है। इसी बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि हम 26 जनवरी को सरकार की परेड में बाधा नहीं डालेंगे। हम उनसे कहेंगे कि ट्रैक्टर रैली के लिए रिंग रोड ठीक रहेगा क्योंकि ट्रैक्टर बहुत ज़्यादा होंगे।
किसानों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पुलिस के साथ होने वाली बैठक के लिए विज्ञान भवन पहुंचा।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 20, 2021
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया, "हम 26 जनवरी को सरकार की परेड में बाधा नहीं डालेंगे। हम उनसे कहेंगे कि ट्रैक्टर रैली के लिए रिंग रोड ठीक रहेगा क्योंकि ट्रैक्टर बहुत ज़्यादा होंगे।" pic.twitter.com/b2Zjr6o7PJ
वार्ता से पहले प्रदर्शनकारी किसान नेता ने कहा, सरकार का अभी भी समाधान निकालने का नहीं बना मन
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 20, 2021 12:14
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सरकार-किसान वार्ता से पहले सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता का कहना है कि आज की बैठक भी पहले जैसे ही होगी। बैठक से हमें कोई उम्मीद नहीं।
नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर 55 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई 40 किसान संगठन कर रहे हैं और यही संगठन सरकार के साथ वार्ता में भी शामिल हैं। बता दें कि सरकार-किसान संगठनों के बीच बुधवार को दसवें दौर की वार्ता होनी है। हालांकि, अभी तक हुई वार्ता में कोई समाधान नहीं निकला है।
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सरकार-किसान वार्ता से पहले सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता का कहना है कि आज की बैठक भी पहले जैसे ही होगी। बैठक से हमें कोई उम्मीद नहीं। दरअसल, समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए किसान नेता ने कहा कि आज की बैठक भी पहले जैसे ही होगी। बैठक से हमें कोई उम्मीद नहीं है। जब भी बैठक होती है हम इसलिए जाते हैं कि सरकार हमारे साथ बैठक कर इसका हल निकाले। लेकिन हल निकालने का सरकार का अभी भी मन नहीं बना है।
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उल्लेखनीय है कि किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह तीनों कृषि कानूनों को वापस लें। जबकि सरकार बार-बार यही कह रही है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेने वाली लेकिन कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। हालांकि अब तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है और किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
आज की बैठक भी पहले जैसे ही होगी। बैठक से हमें कोई उम्मीद नहीं। जब भी बैठक होती है हम इसलिए जाते हैं कि सरकार हमारे साथ बैठक कर इसका हल निकाले। लेकिन हल निकालने का सरकार का अभी भी मन नहीं बना है: किसानों और सरकार के बीच आज होने वाली वार्ता पर एक किसान नेता, सिंघु बॉर्डर #farmslaws pic.twitter.com/hAulma5jYO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 20, 2021
संविधान को जानें: क्या आप अपने कर्तव्यों से वाकिफ हैं ? जानिए क्या होते हैं मौलिक कर्तव्य
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 20, 2021 12:03
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अनुच्छेद 51(क) के तहत 11 मौलिक कर्तव्य हैं। 42वें संविधान संशोधन के जरिए 10 अधिकारों को जोड़ा गया था जबकि 11वें मौलिक कर्तव्य को 86वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था और यह संशोधन साल 2002 में हुआ था।
नयी दिल्ली। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है और संविधान के तहत भारत के नागिरकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए हैं लेकिन अक्सर लोग मौलिक अधिकारों को ही बात करते हैं। जबकि संविधान में मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है। मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों की एक-दूसरे के बिना कल्पना नहीं की जा सकती है। जहां पर अधिकार हैं वहीं पर कर्तव्य भी होंगे और आज हम अपनी नई सीरीज संविधान को जानें में मौलिक कर्तव्यों के बारे में आपको बताएंगे। जिसकी जानकारी देश के हर एक नागरिक को होनी चाहिए।
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आपको बता दें कि भारत के संविधान में पहले मौलिक अधिकारों का ही उल्लेख था लेकिन साल 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया था। मौलिक कर्तव्यों को संविधान के भाग-4 (क) में अनुच्छेद 51(क) में परिभाषित किया गया है।
अनुच्छेद 51(क) के तहत भारत के हर एक नागरिक के कर्तव्य इस प्रकार से हैं:-
- भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्दय में संजोए रखें एवं उनका पालन करें।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें।
- देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
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- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की (जिसके तहत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं) रक्षा करें और उसका संवर्धन करें। इसके अतिरिक्त प्राणिमात्र के प्रति दया का भाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
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- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊचाइयों को छू ले।
- 6 से 14 साल तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करना। यह कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा जोड़ा गया।
आपको जानकारी दे दें कि अनुच्छेद 51(क) के तहत 11 मौलिक कर्तव्य हैं। 42वें संविधान संशोधन के जरिए 10 अधिकारों को जोड़ा गया था जबकि 11वें मौलिक कर्तव्य को 86वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था और यह संशोधन साल 2002 में हुआ था।

