PM मोदी बोले- विविधता हमें अधिक सशक्त करती है और एकजुट रखती है

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प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में कई सारी भाषा, लिपियाों और बोलियों का समृद्ध खजाना है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पहनावा, खानपान और संस्कृति, ये हमारी पहचान है। ये विविधता, एक राष्ट्र के रूप में हमें, अधिक सशक्त करती है और एकजुट रखती है।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कई भाषाओं, लिपियों और बोलियों का समृद्ध खजाना होने का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘विविधता, एक राष्ट्र के रूप में हमें अधिक सशक्त करती है और एकजुट रखती है।’’ रेडिया पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने की विविधता पर जोर दिया और उत्तराखंड की निवासी कल्पना का जिक्र किया, जिन्होंने कर्नाटक में 10वीं की परीक्षा में कन्नड़ में 92 अंक हासिल किए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे देश में कई सारी भाषा, लिपियाों और बोलियों का समृद्ध खजाना है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पहनावा, खानपान और संस्कृति, ये हमारी पहचान है। ये विविधता, एक राष्ट्र के रूप में हमें, अधिक सशक्त करती है और एकजुट रखती है।’’ विविधता के उदाहरण को रेखांकित करते हुए मोदी ने छात्रा कल्पना के बारे में चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कल्पना ने हाल में कर्नाटक में 10वीं की परीक्षा पास की है, लेकिन, उनकी सफलता की बेहद खास बात यह है कि, कल्पना को कुछ समय पहले तक कन्नड़ नहीं आती थी। उन्होंने ना सिर्फ तीन महीने में कन्नड़ सीखी बल्कि 92 अंक प्राप्त किए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना के बारे में और भी कई बातें ऐसी हैं जो आपको हैरान भी करेगी और प्रेरणा भी देगी। कल्पना, मूल रूप से उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली हैं। वह पहले टीबी से पीड़ित रही थीं और जब वह तीसरी कक्षा में थीं तभी उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई थी, लेकिन कहते हैं न, ‘जहां चाह-वहां राह’।’’ 

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प्रधानमंत्री ने कहा कि कल्पना बाद में मैसूरू की रहने वाली प्रोफेसर तारामूर्ति के संपर्क में आई, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें प्रोत्साहित किया, बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी की। आज, वह अपनी मेहनत से सबके लिए एक उदाहरण बन गई हैं। मोदी ने पश्चिम बंगाल में पुरुलिया के श्रीपति टूडू का भी जिक्र किया जो पुरुलिया के सिद्धो-कानो-बिरसा विश्वविद्यालय में संथाली के प्रोफेसर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि टूडू ने संथाली समाज के लिए उनकी अपनी ‘ओल चिकी’ लिपि में देश के संविधान की प्रति तैयार की है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘श्रीपति टूडू जी कहते हैं कि हमारा संविधान हमारे देश के हर एक नागरिक को उनके अधिकार और कर्तव्य का बोध कराता है। इसलिए, प्रत्येक नागरिक का इससे परिचित होना जरुरी है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने संथाली समाज के लिए उनकी अपनी लिपि में संविधान की प्रति तैयार करके भेंट के रूप में दी है। मैं, श्रीपति जी की इस सोच और उनके प्रयासों की सराहना करता हूं। यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का जीवंत उदाहरण है।’’ मोदी ने उत्तराखंड की मौजूदा ‘चार-धाम’ यात्रा का भी उल्लेख किया, जहां ‘चार-धाम’ और खासकर केदारनाथ में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंच रहे हैं। 

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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लोग चार-धाम यात्रा के सुखद अनुभव साझा कर रहे हैं, लेकिन, मैंने ये भी देखा कि श्रद्धालु केदारनाथ में कुछ यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की वजह से बहुत दुखी भी हैं। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने अपनी बात रखी है। हम, पवित्र यात्रा में जायें और वहां गन्दगी का ढ़ेर हो, ये ठीक नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बाबा केदार के धाम में दर्शन-पूजन के साथ-साथ स्वच्छता की साधना भी कर रहे हैं। कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है, तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है। स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ मिलकर कई संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे यहां जैसे तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है और मैं तो ये भी कहूंगा, तीर्थ-सेवा के बिना तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है। देवभूमि उत्तराखंड में कितने ही लोग हैं जो स्वच्छता और सेवा की साधना में लगे हुए हैं।’’ प्रधानमंत्री ने लोगों से तीर्थस्थलों की गरिमा बनाए रखने का आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘‘शुचिता, साफ-सफाई, पवित्र वातावरण हमें इसे कभी नहीं भूलना है, इसे जरूर बनाए रखें। इसीलिए जरूरी है कि हम स्वच्छता के संकल्प को याद रखें। कुछ दिन बाद 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ है। पर्यावरण को लेकर हमें अपने आस-पास सकारात्मक अभियान चलाने चाहिए और ये निरंतर चलने वाला काम है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘आप, इस बार सब को साथ जोड़ कर-स्वच्छता और पौधारोपण के लिए कुछ प्रयास जरूर करें। आप, खुद भी पौधे लगाइये और दूसरों को भी प्रेरित करिए।’’ 

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देश के लोगों की रचनात्मकता और कलात्मक प्रतिभा का उल्लेख करते हुए मोदी ने तमिलनाडु के तंजावुर के एक स्वयं सहायता समूह द्वारा उन्हें भेजे गए उपहार के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस उपहार में भारतीयता की सुगंध है और मातृ-शक्ति का आशीर्वाद भी। मुझ पर उनके स्नेह की भी झलक है। यह एक खास तंजावुर डॉल है, जिसे जीआई टैग भी मिला हुआ है। मैं तंजावुर के स्वयं सहायता समूह को विशेष धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे स्थानीय संस्कृति में रचे-बसे इस उपहार को भेजा।’’ मोदी ने कहा, ‘‘आप, अपने क्षेत्र में ये पता लगायें कि कौन से महिला स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। उनके उत्पाद के बारे में भी आप जानकारी जुटाएं और ज्यादा-से-ज्यादा इन उत्पादों को उपयोग में लाएं। ऐसा करके आप स्वयं सहायता समूह की आय बढ़ाने में तो मदद करेंगे ही ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी गति देंगे।’’ मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि देश में अनगिनत लोग समाज सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश के मर्कापुरम के रामभूपाल रेड्डी का भी जिक्र किया जिन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली अपनी सारी कमाई बेटियों की शिक्षा के लिए दान कर दी। मोदी ने कहा, ‘‘रेड्डी ने करीब 100 बेटियों के लिए ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के तहत खाते खुलवाए और उसमें अपने 25 लाख से ज्यादा रुपए जमा करवा दिये।

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