SCO सम्मेलन में PM मोदी ने चीन और पाक को दिया क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का संदेश

Narendra Modi

सदस्य राष्ट्रों के बीच संपर्क मजबूत करने में भारत की सहभागिता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सम्मान देते हुए मूल सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ा जाए।’’

नयी दिल्ली। चीन और पाकिस्तान को दिए गए सख्त संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्य राष्ट्रों को एक-दूसरे की सार्वभौमिकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। प्रधानमंत्री का यह बयान पूर्वी लद्दाख में पिछले दिनों भारत और चीन के बीच सीमा पर हुए हिंसक गतिरोध और कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के पाकिस्तान के प्रयासों तथा सीमापार से भारत के खिलाफ उसके द्वारा चलाई जा रही आतंकवादी गतिविधियों की पृष्ठभूमि में आठ देशों वाले एससीओ शिखर सममेलन में आया। 

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वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोदी ने इस शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी इसमें मौजूद थे। सम्मेलन की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन कर रहे थे। सदस्य राष्ट्रों के बीच संपर्क मजबूत करने में भारत की सहभागिता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सम्मान देते हुए मूल सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ा जाए।’’

मोदी ने अपने संबोधन में एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है और कोविड-19 महामारी की आर्थिक तथा सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व को उसकी व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की अपेक्षा है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन आए।’’ 

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उन्होंने आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाने वाले और सभी हितधारकों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों तथा मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा के लिए ‘‘बहुपक्षवाद’’ की आवश्यकता पर बल दिया और उम्मीद जताई कि इस प्रयास में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलेगा। मोदी ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है और उसने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, मादक द्रव्य और धन शोधन के विरोध में आवाज उठाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार, एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके एजेंडे में बार-बार, अनावश्यक रूप से,द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं। यह एससीओ चार्टर और ‘शंघाई भावना’ का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भी भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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