CAA और NPR के विरोध के लिए विपक्ष पर बरसे PM मोदी, कहा- देख रहा है देश

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[email protected] । Feb 7 2020 9:23AM

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार पर ध्रुवीकरण के जरिए देश को बांटने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि सीएए और एनआरसी की उसकी ‘साजिश’ को विफल करने और संविधान को बचाने के लिये लोग सड़कों पर निकल आए हैं।

नयी दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संसद एवं विधानसभा के निर्णयों का सड़कों पर विरोध एवं आगजनी तथा लोगों द्वारा कानूनों को स्वीकार नहीं करने से अराजकता की स्थिति पैदा होगी।संसद के दोनों सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का दोनों सदनों में अलग अलग जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि विधायिका के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों और आगजनी से ‘अराजकता’ उत्पन्न हो सकती है, सभी को इससे चिंतित होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में अलोकतांत्रिक गतिविधियों को छिपाने के प्रयास हो रहे हैं, इससे किसी को राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सीएए एवं एनपीआर के खिलाफ एक काल्पनिक भय पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं जो देश के लिए नुकसानदेह है। प्रधानमंत्री के जवाब के बाद दोनों सदनों ने इस धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा में कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर हो रहे प्रदर्शनों से देश ने देख लिया कि ‘‘दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है।’’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।  

मोदी ने सीएए को लेकर विपक्ष पर ‘‘काल्पनिक भय’’ पैदा करने का आरोप लगाया और उनके रूख को पाकिस्तान के रूख से जोड़ते हुए कहा कि ऐसी ही भाषा पाकिस्तान बोलता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इसमें सफल नहीं हो सका, और यह आश्चर्यजनक है कि जिन लोगों को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया, वे ऐसी चीजें कर रहे हैं । संशोधित नागरिकता कानून के संदर्भ में मोदी ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा‘इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जो लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं, उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या पंडित नेहरू हिन्दू-मुस्लिम भेद करते थे ? क्या पंडित नेहरू हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते थे?’’ लोकसभा में करीब 100 मिनट के अपने जवाब में मोदी ने कश्मीर, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की समस्या के समाधान सहित विविध मुद्दों को रेखांकित किया। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बयानों के लिए उन्हें आड़े हाथ लेते हुए मोदी ने कहा ‘‘ कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व धर्म समभाव की है। कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी।’’उन्होंने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘19 जनवरी 1990 की उस काली रात में कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था।’’ 

सीएए को लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान बचाने के नाम पर दिल्ली और देश में क्या हो रहा है, वह पूरा देश देख रहा है और देश की चुप्पी कभी न कभी रंग लायेगी।’’ गौरतलब है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार पर ध्रुवीकरण के जरिए देश को बांटने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि सीएए और एनआरसी की उसकी ‘साजिश’ को विफल करने और संविधान को बचाने के लिये लोग सड़कों पर निकल आए हैं।  प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी से देश की 130 करोड़ जनता को कहना चाहता हूं कि सीएए का हिन्दुस्तान के किसी नागरिक पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो, चाहे कोई और हो।’’ मोदी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले जो कुछ भी हुआ, ‘‘राजनीति के तराजू से तौलकर और आधे-अधूरे मन से किया गया’’ जबकि उनकी सरकार ने चुनौतियों को चुनौती देते हुए समस्याओं का समाधान निकालने के लिये दीर्घकालिक नीति के तहत काम किया जिससें अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी तथा वित्तीय घाटा एवं महंगाई स्थिर रही। उन्होंने कहा, ‘‘कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि देश चुनौतियों से लोहा लेने के लिए हर पल कोशिश करता रहा है। कभी कभी चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी हैं। चुनौतियों को चुनने का सामर्थ्य नहीं हो, ऐसे लोगों को भी देखा है।’’ 

मोदी ने कहा कि एनपीआर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार लेकर आयी थी। किंतु आज वह इसे लेकर विरोध कर रही है और इसके नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।मोदी ने एनपीआर को उचित ठहराते हुये कहा कि इससे सही लाभार्थियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने इसका विरोध कर रहे विपक्ष को आगाह किया कि वे संकुचित और भ्रामक विमर्श के कारण (एनपीआर का) विरोध कर रहे हैं। उन्होंने किसी विपक्षी दल का नाम लिये बिना कहा, ‘‘तुष्टीकरण का सवाल हो तो आप डंके की चोट पर विभाजन का रास्ता पकड़ते हैं। ऐसे अवसरवादी विरोध से किसी भी दल को लाभ या हानि तो हो सकती है लेकिन इससे देश को निश्चित रूप से हानि होती है। देश में अविश्वास की स्थिति बनती है।’’मोदी ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा, ‘‘मेरा आग्रह रहेगा कि हम सच्चाई और सही तथ्य को जनता के बीच ले जाएं। इस दशक में दुनिया की भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं। इन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए हम सभी के प्रयास 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अनुरूप होने चाहिए।’’अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हुए विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वहां बीडीसी के चुनाव हुए और रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण अधिनियम) कानून भी लागू हुआ। पहली बार जम्मू कश्मीर को समग्र स्टार्ट अप, व्यापार और लॉजिस्टिक नीति मिली। पहली बार वहां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्थापना की गई।’’मोदी ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में 18 महीनों में 3.30 लाख घरों को बिजली के कनेक्शन मिले, 3.5 लाख से ज्यादा लोगों को आयुष्मान योजना के तहत गोल्ड कार्ड मिले और 1.5 लाख बुजुर्गों, दिव्यांगों को पेंशन मिली।’’ उन्होंने चर्चा में एमडीएमके के वाइको की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा ‘‘जम्मू कश्मीर के लिये पांच अगस्त 2019 का दिन काला दिन नहीं था बल्कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वालों के लिये यह दिन काला दिन साबित हुआ है।’’ 

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