Sri Aurobindo Anniversary: PM मोदी बोले- विपरीत परिस्थितियों में भारत थोड़ा मुरझा सकता है, लेकिन...

modi on 150th birth anniversary of Sri Aurobindo
ANI
अंकित सिंह । Dec 13 2022 6:46PM

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि समकालीन रूप से अभूतपूर्व घटनाओं के घटित होने को अक्सर एक घटना माना जाता है। लेकिन ये संयोग हमेशा एक 'योग शक्ति' से संचालित होते हैं। सामूहिक ऊर्जा सभी को एक साथ बांधती है और श्री अरबिंदो का जीवन ऐसी ऊर्जा को दर्शाता है।

श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन ने अपना संबोधन दिया। इस दौरान मोदी ने कहा कि श्री अरबिंदो के जन्मदिवस के पुण्य अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि श्री अरबिंदो के 150वें जन्मदिवस के ऐतिहासिक असवर पर उनके विचारों और प्रेरणाओं को हमारी नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इस पूरे साल को विशेष रूप से बनाने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही मोदी ने कहा कि जब प्रेरणा और कर्तव्य, मोटिवेशन और एक्शन एक साथ मिल जाते हैं, तो असंभव लक्ष्य भी अवश्यम्भावी हो जाते हैं। आज़ादी के अमृतकाल में आज देश की सफलताएं, देश की उपलब्धियां और 'सबका प्रयास' का संकल्प इस बात का प्रमाण है।

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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि समकालीन रूप से अभूतपूर्व घटनाओं के घटित होने को अक्सर एक घटना माना जाता है। लेकिन ये संयोग हमेशा एक 'योग शक्ति' से संचालित होते हैं। सामूहिक ऊर्जा सभी को एक साथ बांधती है और श्री अरबिंदो का जीवन ऐसी ऊर्जा को दर्शाता है। उन्होंने साफ कहा कि श्री अरबिंदो का जीवन "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" का प्रतिबिंब है। उनका जन्म भले ही बंगाल में हुआ था, लेकिन अपना ज्यादातर जीवन उन्होंने गुजरात और पुद्दुचेरी में बिताया। वे जहां भी गए, वहां अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ी। इसका साथ ही मोदी ने कहा कि अगर हम अरबिंदो के जीवन को करीब से देखें तो हम भारत की आत्मीय विकास यात्रा का अनुभव कर सकते हैं। अरबिंदो का जीवन कई पहलुओं का समामेलन है जिसमें आधुनिक शोध और राजनीतिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी शामिल है।

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नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत वो अमर बीज है, जो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा दब सकता है, थोड़ा मुरझा सकता है, लेकिन मर नहीं सकता। क्योंकि, भारत मानव सभ्यता का सबसे परिष्कृत विचार है, मानवता का सबसे स्वाभाविक स्वर है। उन्होंने कहा कि ''श्री अरबिंदो, उन स्वतंत्रता सेनानियों में से थे जिन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग की और कांग्रेस की अंग्रेज परस्त नीतियों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा था कि अगर हम अपने राष्ट्र का पुनर्निर्माण चाहते हैं तो हमें रोते हुए बच्चे की तरह ब्रिटिश राज के सामने रोना बंद करना होगा।'' इस दौरान प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया।

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