Shashi Tharoor को PM ने फिर से एक खास मिशन पर भेजा, अब तक अंग्रेजी में Pak को लताड़ लगाते रहे थरूर ने इस बार French में आतंकी देश को धो डाला

शशि थरूर ने मॉस्को में एक कार्यक्रम के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और इसकी तस्वीर साझा करते हुए एक्स पर लिखा, "मॉस्को में ‘प्रिमाकोव रीडिंग्स’ के दौरान पुराने मित्र रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर अच्छा लगा।''
कांग्रेस सांसद शशि थरूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से एक खास विदेशी मिशन पर भेजा है। हम आपको बता दें कि शशि थरूर रूस के मास्को में चल रहे ‘प्रिमाकोव रीडिंग्स'' वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने गये हैं। इस सम्मेलन में सालाना आधार पर भारत सहित 40 देशों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विश्व अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों की बैठकें होती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए शशि थरूर को भेजा है। प्रधानमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जिस तरह शशि थरूर दुनिया का ध्यान पाकिस्तानी आतंकवाद की ओर आकर्षित कर रहे हैं उससे जुड़ी खबरें इस समय पूरी दुनिया में सुर्खियों में छाई हुई हैं। शशि थरूर वैसे तो अपनी धाराप्रवाह अंग्रेज़ी और प्रभावशाली भाषण शैली के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन उनका जो एक वीडियो वायरल हो रहा है उसमें उन्हें फ्रेंच भाषा में अपनी बात रखते हुए देखा जा सकता है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि हाल ही में एक बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए शशि थरूर ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके बाद की सैन्य कार्रवाई के संबंध में भारत का रुख बताने के लिए अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा किया था।
शशि थरूर ने मॉस्को में एक कार्यक्रम के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और इसकी तस्वीर साझा करते हुए एक्स पर लिखा, "मॉस्को में ‘प्रिमाकोव रीडिंग्स’ के दौरान पुराने मित्र रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर अच्छा लगा।’’ विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के पूर्व राजदूत आंद्रेई डेनिसोव से भी मुलाकात की, जो अब रूसी संघ परिषद की अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रथम उपाध्यक्ष हैं।
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हम आपको बता दें कि शशि थरूर की मास्को यात्रा के कार्यक्रम में इस वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के अलावा कई राजनयिकों के साथ गुप्त मुलाक़ातें भी शामिल थीं। बताया जा रहा है कि शशि थरूर ने सिर्फ रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से ही नहीं, बल्कि रूसी विदेश नीति प्रतिष्ठान के कुछ अहम लोगों से भी बिना सार्वजनिक जानकारी के मुलाक़ात की। इन बैठकों का कोई आधिकारिक ब्यौरा जारी नहीं किया गया। शशि थरूर की यात्रा के बारे में जो आधिकारिक बयान है उसके मुताबिक वह RT (रशिया टुडे) के लिए बनाई जा रही एक दस-भाग वाली डॉक्युमेंट्री सीरीज़ से जुड़े कार्यक्रम में भाग लेने गये हैं। शशि थरूर को प्रिमाकोव रीडिंग्स और RT की एक नई सीरीज़ Imperial Receipts में भाग लेते हुए देखा गया, जो उपनिवेशवाद पर आधारित है।
हम आपको यह भी बता दें कि रूस द्वारा आयोजित एक आगामी आतंकवाद-रोधी सम्मेलन में पाकिस्तान को शामिल किए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए शशि थरूर ने धाराप्रवाह फ्रेंच (फ़्रांसीसी भाषा) में अपनी बात रखी। मॉस्को में रूस की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष लियोनिद स्लुत्स्की के साथ एक बैठक के दौरान, शशि थरूर ने स्लुत्स्की की आतंकवाद से निपटने के लिए प्रस्तावित सम्मेलन पर की गई टिप्पणी का जवाब फ़्रेंच में दिया। हम आपको बता दें कि स्लुत्स्की ने यह घोषणा की थी कि रूस अगले साल की शुरुआत में एक सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहा है, जिसमें छह देशों— तुर्की, ईरान, रूस, भारत, पाकिस्तान और चीन की संसदों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। उन्होंने आतंकवाद पर केवल चर्चा नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। लेकिन तभी शशि थरूर ने फ्रेंच में जवाब देते हुए पाकिस्तान की भागीदारी पर सीधी टिप्पणी करते हुए कहा, ''"ऐसा एक देश है जो दुर्भाग्यवश इन आतंकवादी संगठनों को शरण देता है।" थरूर ने कहा, "इन संगठनों का मुख्यालय वहीं है, वे वहीं आतंकवादियों को प्रशिक्षण देते हैं, उन्हें फंडिंग और हथियार मुहैया कराते हैं और उन्हें अन्य देशों में भेजते हैं। हमारे लिए यह नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है कि इन आतंकवादियों को पाकिस्तान में संरक्षण प्राप्त है।"
थरूर और स्लुत्स्की के बीच फ्रेंच में हुई यह बातचीत सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और थरूर की भाषाई कुशलता व कूटनीतिक स्पष्टता की खूब तारीफ हुई। बैठक के बाद थरूर ने X पर लिखा, ''अपने रूसी समकक्ष स्लुत्स्की से दोबारा मिलकर अच्छा लगा, जो कुछ महीने पहले एक रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली की संसद में आए थे। हमने क्षेत्रीय शांति, ऑपरेशन सिंदूर और भविष्य में संसदीय सहयोग के संभावित रास्तों पर चर्चा की।"
हम आपको यह भी बता दें कि इस तरह की भी रिपोर्टें हैं कि शशि थरूर ने मास्को रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगभग एक घंटे की मुलाकात की थी। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हम आपको बता दें कि शशि थरूर एक ख्याति प्राप्त लेखक, पूर्व राजनयिक और वर्तमान में कांग्रेस सांसद हैं जोकि भारतीय राजनीति में विशिष्ट स्थान रखते हैं। वे न केवल अपनी गहन वैचारिक समझ और बहुभाषी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भीतर एक आधुनिक और प्रगतिशील आवाज़ के रूप में भी उभरे हैं। हालांकि, उनके और कांग्रेस नेतृत्व के संबंध कभी पूरी तरह सरल नहीं रहे हैं।
थरूर की सबसे बड़ी ताकत उनकी बौद्धिक स्पष्टता और वैश्विक दृष्टिकोण है। उन्होंने "Why I Am A Hindu", "Pax Indica" और "Inglorious Empire" जैसी पुस्तकों के ज़रिए भारत की विचारधारा, इतिहास और विदेश नीति पर गहराई से विचार रखा है। कांग्रेस पार्टी के भीतर थरूर अक्सर उदारवाद, धर्मनिरपेक्षता और उत्तर-औपनिवेशिक चेतना के पक्षधर रहे हैं। हालांकि थरूर कांग्रेस के प्रमुख चेहरे हैं, मगर वे अक्सर पार्टी की पारंपरिक कार्यशैली और नेतृत्व संरचना को लेकर असहमति भी जताते रहे हैं। 2020 में वह ‘G-23’ नामक असंतुष्ट नेताओं के समूह में शामिल थे, जिसने कांग्रेस में संगठनात्मक सुधार और नेतृत्व की जवाबदेही की मांग की। इससे उनके और पार्टी हाईकमान के रिश्ते में कुछ तनाव आया, हालांकि वे कभी भी खुलकर बगावत के मूड में नहीं आए। शशि थरूर कांग्रेस के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो न केवल शहरी और युवा वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी का एक शिक्षित, उदार और आधुनिक चेहरा प्रस्तुत करते हैं। विदेश नीति, वैश्विक संबंधों और भारत की सॉफ्ट पावर पर उनकी समझ गजब की है।
हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व की तारीफ करते हुए एक आलेख लिखा था जिसको लेकर कांग्रेस हाईकमान उनसे बेहद नाराज है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शशि थरूर पर कड़ी टिप्पणी की है जिस पर थरूर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये पलटवार भी किया है। इस तरह की अटकलें हैं कि शशि थरूर भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन खुद शशि थरूर का कहना है कि उनका लेख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी में शामिल होने का संकेत नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, हित और भारत के लिए खड़े होने का संदेश है। शशि थरूर ने यह भी कहा, ‘‘मेरी लंबे समय से राय रही है कि हमारे लोकतंत्र में राजनीतिक मतभेद सीमाओं पर ही रुक जाने चाहिए। हमारे लिए, मुझे ऐसा लगता है कि वास्तव में भाजपा की विदेश नीति या कांग्रेस की विदेश नीति जैसी कोई चीज नहीं है, केवल भारतीय विदेश नीति और भारतीय राष्ट्रीय हित ही हैं।’’
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