क्या है पॉक्सो एक्ट, क्या हैं सजा के प्रावधान? पढ़ें पूरा मामला

Pocso Act 2012 And its provision

पॉक्सो एक्ट यानी की प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 जिसको हिंदी में लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहा जाता है।

नयी दिल्ली। पॉक्सो एक्ट यानी की प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 जिसको हिंदी में लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहा जाता है। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म, यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई का प्रावधान है। इस एक्ट के जरिए बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान होती है।

सजा के कड़े प्रावधान

पॉक्सो एक्ट के तहत अलग-अलग अपराध में अलग-अलग सजा का प्रावधान है और यह भी ध्यान दिया जाता है कि इसका पालन कड़ाई से किया जा रहा है या नहीं। इस एक्ट की धारा 4 में वो मामले आते हैं जिसमें बच्चे के साथ कुकर्म या फिर दुष्कर्म किया गया हो। इस अधिनियम में सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

वहीं एक्ट की धारा 6 के अधीन वो मामले आते हैं जिनमें बच्चों के साथ कुकर्म, दुष्कर्म के बाद उनको चोट पहुंचाई गई हो। इस धारा के तहत 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर धारा 7 और 8 की बात की जाए तो उसमें ऐसे मामले आते हैं जिनमें बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स या गुप्तांग में चोट पहुंचाई जाती है। इसमें दोषियों को 5 से 7 साल की सजा के साथ जुर्माना का भी प्रावधान है।

पॉर्नोग्राफी दिखाना भी है अपराध

बता दें कि 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुराचार होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के तहत आता है। इस एक्ट के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त एक्ट की धारा 11 के साथ यौन शोषण को भी परिभाषित किया जाता है। जिसका मतलब है कि यदि कोई भी व्यक्ति अगर किसी बच्चे को गलत नीयत से छूता है या फिर उसके साथ गलत हरकतें करने का प्रयास करता है या उसे पॉर्नोग्राफी दिखाता है तो उसे धारा 11 के तहत दोषी माना जाएगा। इस धारा के लगने पर दोषी को 3 साल तक की सजा हो सकती है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़