निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद ने राजनीतिक दलों से राष्ट्रहित में दलगत राजनीति से ऊपर उठने की अपील की
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद और अन्य सांसदों को धन्यवाद दिया और कहा कि उनके सहयोग ने उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में मदद की। कोविंद ने संसद की कार्यवाही के संचालन में इसकी महान परंपराओं को बनाये रखने के लिए नायडू और बिरला को धन्यवाद दिया।
नयी दिल्ली| निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजनीतिक दलों से ‘‘राष्ट्र सर्वप्रथम’’की भावना के साथ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के कल्याण के लिए जरूरी विषयों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आह्वान किया।
उन्होंने नागरिकों से विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए गांधीवादी तरीकों को अपनाने की अपील की। संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों द्वारा उनके लिए आयोजित किये गये विदाई समारोह में अपने संबोधन में कोविंद ने संसद को ‘‘लोकतंत्र का मंदिर’’ बताया, जहां सांसद उन लोगों की इच्छाओं को व्यक्त करते हैं जिन्होंने उन्हें निर्वाचित कर भेजा होता है।
कोविंद ने भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना एक बड़े परिवार से की और सभी ‘‘पारिवारिक मतभेदों’’ को हल करने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि अपना विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों के समर्थन में दबाव बनाना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन उन्हें (नागरिकों को) गांधीवादी तरीकों को अपनाकर अपने अधिकारों का शांतिपूर्वक उपयोग करना चाहिए।
कोविंद ने राजनीतिक दलों को अपने संदेश में कहा, ‘‘जैसा कि किसी भी परिवार में होता है, संसद में कभी-कभी मतभेद होते हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन हम सभी इस संसदीय परिवार के सदस्य हैं जिनकी सर्वोच्च प्राथमिकता निंरतर राष्ट्र हित में काम करने की होनी चाहिए।’’ उनकी टिप्पणी ऐेसे समय में काफी मायने रखती है, जब कई मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण संसद की कार्यवाही अक्सर बाधित हो रही है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कोविंद ने कहा कि राजनीतिक दलों और लोगों के पास अपना विरोध व्यक्त करने के लिए कई संवैधानिक तरीके हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दूसरे पक्ष का सम्मान करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शांति और अहिंसा का उपयोग किया था।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की अपनी प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि नागरिकों के विकास और कल्याण के लिए क्या आवश्यक है।’’
कोविंद के विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा कई सांसद शामिल हुए।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद और अन्य सांसदों को धन्यवाद दिया और कहा कि उनके सहयोग ने उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में मदद की। कोविंद ने संसद की कार्यवाही के संचालन में इसकी महान परंपराओं को बनाये रखने के लिए नायडू और बिरला को धन्यवाद दिया।
उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। कोविंद ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत’ के ‘‘परिवर्तनकारी’’ परिणाम हुए हैं। उन्होंने इसे सरकार और नागरिकों की ओर से महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
उन्होंने कहा कि वह हमेशा खुद को बड़े परिवार का हिस्सा मानते हैं, जिसमें संसद के सदस्य भी शामिल हैं। बृहस्पतिवार को देश की राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं द्रौपदी मुर्मू सोमवार को 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी।
वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी होंगी। कोविंद ने मुर्मू को शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को फायदा होगा।
उन्होंने 18 महीनों में कोविड टीके की 200 करोड़ से अधिक खुराक दिये जाने और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरित करने के सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए मैं देश के नागरिकों का सदा आभारी रहूंगा।’’
अपने संबोधन में कोविंद ने कहा कि विभिन्न सरकारों के प्रयासों से बहुत विकास हुआ है, लेकिन यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि हाशिए पर मौजूद लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा कि देश धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से संविधान निर्माता बी. आर. आंबेडकर के सपनों को साकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह एक कच्चे मकान में पले-बढ़े हैं, लेकिन अब बहुत कम बच्चों को छप्पर वाले उन घरों में रहना पड़ता है जिनकी छतों से पानी टपकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आंशिक रूप से सरकार के सीधे समर्थन से अधिक से अधिक गरीब लोग पक्के घरों में स्थानांतरित हो रहे हैं।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘पेयजल लाने के लिए मीलों पैदल चलकर जाना अब हमारी बहन-बेटियों के लिए बीते दिनों की बात होती जा रही हैं क्योंकि हमारा प्रयास है कि हर घर में नल से पानी मिले।’’
उन्होंने कहा कि सूर्यास्त के बाद लालटेन और दीया जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही हैं क्योंकि लगभग सभी गांवों को बिजली कनेक्शन मुहैया करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी होने के साथ ही उनकी आकांक्षाएं भी बदल रही हैं।
निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद रविवार को राष्ट्र को संबोधित करेंगे। राष्ट्रपति भवन द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। अपने संबोधन में, बिरला ने कहा कि संसद में कोविंद का संबोधन उनकी दूरदृष्टि, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ और उनके समाधान के प्रति उनकी स्पष्ट विचार प्रक्रिया को दर्शाता है। बिरला ने कहा कि उनके संबोधन ने सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से प्रेरित किया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यही कारण है कि कोविंद को सभी दलों के नेताओं का पूरा समर्थन मिला और सभी सांसद उन्हें संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के संरक्षक के रूप में देखते हैं।
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