सकारात्मक चिंतन से कम होगा पत्रकारों का तनाव: प्रो द्विवेदी

sanjay dwivedi
प्रतिरूप फोटो
Prabhasakshi

आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि प्राणी पर दया ही मानवीय धर्म और आध्यात्म है। आध्यात्मिक सशक्तिकरण समय की मांग है और इसी में ही समाज की सभी समस्याओं का निदान समाया हुआ है। पत्रकारों के लिए उन्होंने कहा की आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान द्वारा आंतरिक शक्ति व क्षमताओं को विकसित करना जरूरी है।

गाजियाबाद। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने मीडिया को राष्ट्र का सजग प्रहरी बताते हुए कहा है कि हर पल सक्रिय रहने वाले पत्रकार सकारात्मक चिंतन और समाधान परक दृष्टिकोण से अपने तनाव को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को लोकमंगल और विश्व कल्याण की दिशा में कार्य करना चाहिए। प्रो. द्विवेदी रविवार को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे 'अखिल भारतीय समाधान मूलक मीडिया अभियान' के तहत गाजियाबाद के मोहन नगर स्थित ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र में 'पत्रकारों के तनाव प्रबंधन' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। 

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भूमंडलीकरण के दौर में मीडिया को नकारात्मक और हिंसात्मक खबरों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण पत्रकारों के निजी और व्यावसायिक जीवन में तनाव बना रहता है। तनाव के इस चक्रव्यूह से बाहर निकलने के लिए पत्रकारों को महाभारत के अर्जुन की तरह आत्मा और परमात्मा का ज्ञान, गुण और आंतरिक शक्तियों की आवश्यकता है। संगोष्ठी के दौरान आईआईएमसी के महानिदेशक ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा वर्ष 2022-23 को 'दया और करुणा के माध्यम से आध्यात्मिक सशक्तिकरण' के वर्ष के रूप में मनाई जा रही परियोजना का शुभारंभ भी किया।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि प्राणी पर दया ही मानवीय धर्म और आध्यात्म है। आध्यात्मिक सशक्तिकरण समय की मांग है और इसी में ही समाज की सभी समस्याओं का निदान समाया हुआ है। पत्रकारों के लिए उन्होंने कहा की आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान द्वारा आंतरिक शक्ति व क्षमताओं को विकसित करना जरूरी है। इससे न केवल वे चिंता, भय और तनाव को दूर कर सकते हैं, बल्कि समाज में व्याप्त विकृतियों और समस्याओं का निवारण भी कर कर सकते हैं।

इस अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रो. प्रदीप माथुर ने कहा की फील्ड में काम करने वाले पत्रकारों का जीवन संघर्ष, असुरक्षा और तनाव से भरा होता है। समस्याओं से जूझने के लिए उनको आत्मिक बल की जरुरत है। प्रो. माथुर ने कहा की आंतरिक सशक्तिकरण के द्वारा ही पत्रकारों का नैतिक विकास संभव है। 

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संगोष्ठी का उद्देश्य बताते हुए ब्रह्माकुमारी संस्था के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी राजयोगी बीके सुशांत ने कहा कि यह अभियान देश के सभी राज्यों और जिला स्तर पर कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों में आध्यात्मिक चेतना, मनोबल, नैतिक साहस और आंतरिक क्षमता जगाने के लिए चलाया जा रहा है। आध्यात्मिकता के संतुलित समन्वय द्वारा आधुनिक पत्रकारिता व पत्रकारों में उत्कृष्टता लाना इस अभियान का मूल लक्ष्य है।

ब्रह्माकुमारी संस्था के मीडिया प्रभाग की दिल्ली क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी बीके सुनीता ने पत्रकारिता को एक नोबेल प्रोफेशन बताते हुए पत्रकारों को उनकी गरिमा और देश व मानवता के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान का स्मरण कराया। संस्था की मोहन नगर केंद्र निर्देशिका बीके लवली ने उपस्थित पत्रकारों व मीडियाकर्मियों को राजयोग मैडिटेशन का सामूहिक अभ्यास कराया। कार्यक्रम का मंच संचालन गणेश जोशी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन नवीन वाही ने दिया।

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