डॉ. साराभाई ने राष्ट्र के विकास एवं शिक्षा में उपग्रह प्रणाली के महत्व को किया था प्रदर्शित: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आज हमें उनके स्वप्न के महत्व को समझा है जब कोविड-19 महामारी स्कूली शिक्षा को बाधित करने में विफल रही और यह दूरस्थ शिक्षा माध्यम से जारी रहा।
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई ने दशकों पहले शिक्षा में उपग्रह प्रणाली और संचार के महत्व को रेखांकित किया था और इसी कार्यक्रम के कारण कोविड-19 महामारी स्कूली शिक्षा को बाधित करने में विफल रही और दूरस्थ माध्यम से शिक्षा जारी रही। डॉ. विक्रम साराभाई जन्मशती कार्यक्रम के समापन समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि डॉ. विक्रम साराभाई ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये देश के सभी हिस्सों से प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, मानव विज्ञानियों, संवाद करने वालों तथा सामाजिक वैज्ञानिकों का समूह तैयार किया।
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राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ डॉ. साराभाई राष्ट्र के विकास में उपग्रह प्रणाली की उपयोगिता को प्रदर्शित करना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि ‘मैं एक स्वप्नद्रष्टा हूं और मैं उस दिन के बारे में स्वप्न देखता हूं जब भारत के लोग टेलीविजन के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। हम ऐसा अपने संचार उपग्रह के जरिये ऐसा करने में सक्षम हो सकते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आज हमें उनके स्वप्न के महत्व को समझा है जब कोविड-19 महामारी स्कूली शिक्षा को बाधित करने में विफल रही और यह दूरस्थ शिक्षा माध्यम से जारी रहा।’’ कोविंद ने कहा कि ऐसी छोटी लेकिन महत्वाकांक्षी शुरूआत के साथ हम आज उस स्तर तक पहुंचे हैं तब हम मानवरहित अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ गगनयान देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भेजना निर्धारित किया गया है जो डा. साराभाई की विरासत के बारे में बताता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं भारत के महान सपूत डा. विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई विश्वस्तरीय वैज्ञानिक, नीति निर्माता और संस्था निर्माता थे, ऐसी शख्सियत विरले ही देखने को मिलती है।’’
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उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि डॉ. साराभाई और डॉ. भाभा दोनों के लिये विज्ञान न केवल एक रोचक यात्रा थी बल्कि भारत जैसे देश के आधुनिक विकास का मार्ग भी थी। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. साराभाई कहा करते थे कि हमें मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं के संदर्भ में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में अग्रणी बनना है। जब देश ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिये प्रयासरत है तब हमें उनके कथन के महत्व को समझना होगा।
Dr Vikram Sarabhai convened an army of brilliant scientists, anthropologists, communicators and social scientists from all corners of the country to spearhead the Indian space programme. #VikramSarabhai100 pic.twitter.com/SYLxhvO1bj
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 25, 2020
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