NSS पुरस्कार प्रदान करते हुए बोले राष्ट्रपति, सेवा के माध्यम से शिक्षा एवं चरित्र निर्माण का कार्य सराहनीय
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के विरुद्ध संघर्ष में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयंसेवकों ने सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन करने तथा मास्क के प्रयोग को लेकर जागरूकता का प्रसार किया।
नयी दिल्ली। कोविड-19 के समय में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के कार्यों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि इनका सेवा के माध्यम से शिक्षा तथा चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व विकास का कार्य अनुकरणीय है। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार प्रदान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं ने कोविड-19 के कारणों और उसकी रोकथाम के सम्बन्ध में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने में सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों को अनेक प्रकार से सहायता प्रदान की है। इन स्वयंसेवकों ने जनसेवा की नई मिसाल प्रस्तुत की है। यह सराहनीय है।’’
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उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के विरुद्ध संघर्ष में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयंसेवकों ने सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन करने तथा मास्क के प्रयोग को लेकर जागरूकता का प्रसार किया। पृथक-वास के दौरान लोगों तक खाद्य-सामग्री एवं अन्य उपयोगी वस्तुएं पहुंचाने में योगदान दिया है। कोविंद ने कहा कि भूकम्प और बाढ़ जैसी राष्ट्रीय आपदाओं के दौरान ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयंसेवक और कार्यकर्ता समाज की सहायता के लिए सदा तत्पर रहे हैं। विगत कुछ वर्षों में उन्होंने बाढ़ एवं जलभराव के दौरान राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने में अथक प्रयास किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इन्होंने यह सिद्ध किया है कि हमारी बेटियां भी राष्ट्र-सेवा में अमूल्य योगदान देती हैं। हमारी ये बेटियां उस परंपरा की याद दिलाती हैं जिसमें सावित्री बाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा जैसे सेवा-भावना के महान और प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय सेवा योजना’ का उद्देश्य है ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’। सेवा के द्वारा युवा स्वयंसेवकों के चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व का विकास होता है।’’ उन्होंने कहा कि इस योजना का आदर्श वाक्य “मैं नहीं, बल्कि आप” है। इसका भाव है, अपने हित की जगह दूसरे के हित पर ध्यान देना।
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कोविंद ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनेक तकनीकी संस्थानों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के लगभग 40 लाख युवा विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ से जुड़कर, समाज और राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। अब तक लगभग सवा चार करोड़ विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के माध्यम से अपना योगदान दे चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2018-19 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी स्वयंसेवकों कोबधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना पर बल दिया था और अपना सम्पूर्ण जीवन, सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।
उन्होंने कहा कि बापू ने कहा था, “ईश्वर की पहचान सेवा से ही होगी, यह मानकर मैंने सेवा-धर्म स्वीकार किया था।” राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ गांधी जी के आदर्शों से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ की शुरुआत, उनकी जन्म-शताब्दी के उपलक्ष्य में सन् 1969 में की गयी थी। यह योजना, आज भी उतनी हीमहत्वपूर्ण है जितनी पांच दशक पहले थी।’’ उन्होंने कहा कि यह तथ्य विशेष रूप से संतोषप्रद है कि वर्ष 2018-19 के 42 पुरस्कार विजेताओं की सूची में 14 बेटियों के नाम भी शामिल हैं।
LIVE: President Kovind presents the National Service Scheme (NSS) Awards for 2018-2019 via video conferencing https://t.co/U8lRgDBpkV
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 24, 2020
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