पाटीदार समुदाय पर अच्छी पकड़ रखते हैं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

Bhupendra Patel
ANI

गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल सबसे ज्यादा गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं। जब वह सीएम के रूप में चुने गए तो भाजपा ने यह भी तय कर लिया की पाटीदार समुदाय में कमजोर हो रही बीजेपी को मजबूत करना कितना जरूरी है।

गुजरात विधानसभा चुनाव की शुरूआत होने जा रही है और साथ ही चुनाव की तैयारी भी जोरो-शोरो से शुरू की जा चुकी है। 25 सालों से राज्य में अपना कब्जा जमाए भाजपा लगातार 6 चुनाव में अपनी जीत दर्ज कर रही है। वहीं अब, सातवीं बार भी भाजपा जीत के लिए जुट चुकी है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के लिए आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में जीत दर्ज करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। भाजपा ने पार्टी को बेहतर करने के लिए अचानक मुख्यमंत्री को बदल दिया। साल 2017 के चुनाव प्रदर्शन को और भी बेहतर करने के लिए भाजपा के सीएम भूपेंद्र पटेल को खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

कौन है भूपेंद्र पटेल

गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल सबसे ज्यादा गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं। जब वह सीएम के रूप में चुने गए तो भाजपा ने यह भी तय कर लिया की पाटीदार समुदाय में कमजोर हो रही बीजेपी को मजबूत करना कितना जरूरी है। जब विजय रूपाणी गुजरात के सीएम रहे तब पाटीदार समुदाय ने 2017 के चुनाव में बीजेपी को खुलकर अपना मत नहीं दिया क्योंकि विजय रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं। वहीं अब जब गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल है तो इनके सामने पाटीदार समुदाय में अपनी गहरी पहचान बनाना एक बड़ी चुनौती है। जमीन से जुड़े नेता माने जाने वाले भूपेंद्र पटेल को इस बार एक मजबूत पाटीदार के नेता के रूप में देखा जा रहा हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र पटेल के सामने गुजरात में सबसे मजबूत माने जाने वाले पाटीदार समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश रहेगी।

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भूपेंद्र पटेल का बैकग्राउंड

भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने 13 सितंबर, 2021 को गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। भूपेंद्रभाई पटेल ने मेमनगर नगरपालिका में एक सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में घाटलोडिया निर्वाचन क्षेत्र (अहमदाबाद) से विधायक चुने गए। उन्होंने अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के अध्यक्ष और थलतेज वार्ड के पार्षद के रूप में 2010 से 2015 तक कार्य किया। उन्होंने 1995 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक नगरपालिका की सेवा की, 1999-2000 और 2004-2006 के दौरान स्थानीय निकाय के अध्यक्ष बने रहे।

उन्होंने 2008 और 2010 के बीच अहमदाबाद नगर निगम स्कूल बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। बाद में, उन्होंने 2010 से 2015 तक थलतेज वार्ड से एक नगरसेवक के रूप में कार्य किया। इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अहमदाबाद की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 2015 में, उन्हें अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (AUDA) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। 2017 में, पटेल 1,17,000 मतों के व्यापक अंतर से घाटलोदिया निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहली बार विधान सभा (एमएलए) के सदस्य बने।

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15 जुलाई 1962 को अहमदाबाद में जन्मे पटेल ने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, अहमदाबाद से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। 'स्वयं से पहले सेवा’ के दृढ़ विश्वास वाले, पटेल कम उम्र से ही एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। वह मेमनगर में आरएसएस द्वारा प्रबंधित पंडित दीनदयाल पुस्तकालय के एक सक्रिय सदस्य भी हैं।

गुजरात में पाटीदार आंदोलन

साल 2015 में पाटीदार आंदोलन किया गया और यहीं वजह है कि साल 2017 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं किया। गुजरात की सड़कों पर पाटीदार समुदाय के लोगों की भीड़ जमकर उमड़ी। इस आंदोलन में अगर एक नाम जो खूब चर्चों में रहा वो था हार्दिक पटेल का। हार्दिक इस दौरान पटेल आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे और उनकी मांग थी कि पाटीदारों को ओबीसी का दर्जा दिया जाए। उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिले। इस आंदोलन ने पूरा गुजरात में बड़ा असर दिखाया, इस आंदोलन के कारण ही पाटीदार समुदाय की पकड़ और भी मजबूत हो गई। पाटीदारों की नाराजगी के कारण साल 2017 में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा और सीटों की संख्या भी कम हो गई। अब पाटीदार समुदाय की नाराजगी को कम करने के लिए बीजेपी ने विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को जगह दी जिससे काफी ये तो उम्मीद पक्की लगाई जा रही है कि पाटीदार समुदाय की नाराजगी कहीं न कहीं खत्म हो जाएगी।

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