पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने परिवार सहित बगलामुखी मंदिर में पूजा अर्चना की

Charanjit Singh Channi

अपने बगलामुखी मंदिर प्रवास के बारे में मुख्यमंत्री चन्नी ने टिवट्र पर जानकारी देते हुये लिखा है कि,कल रात मां बगलामुखी जी के मन्दिर में व्यतीत की। मां बगलामुखी जी के दर्शन करके मन को शान्ति मिली। माता रानी से पंजाब व पंजाबियों की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने पर मुख्यमंत्री यहां नतमस्तक होने आए थे।

धर्मशाला। पंजाब में चल रही राजनैतिक उठापटक से दूर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने हिमाचल प्रवास के दौरान जिला कांगडा के बनखंडी के पास शत्रुनाशिनी देवी बगलामुखी माता के दरबार में अपने परिवार के साथ हाजिरी लगाने पहुंचे। मंदिर पहुंचने से पहले चन्नी हवाई मार्ग के जरिए गग्गल एयरपोर्ट पर पहुंचे व उसके बाद चन्नी सड़क मार्ग के जरिए धर्मशाला के एक निजी होटल में गए। उसके बाद बगलामुखी मंदिर बनखंडी पहुंचे। 

मुख्यमंत्री चन्नी की पत्नी कमलजीत कौर उनसे पहले ही मंदिर में पहुंच गई थीं। हालांकि मुख्यमंत्री उनसे काफी देर के उपरांत मंदिर में पहुंचे। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने पर मुख्यमंत्री यहां नतमस्तक होने आए थे। उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना व अनुष्ठान किया।

कांगड़ा जिला के रानीताल-ऊना-चण्डीगढ़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर देहरा के पास बनखण्डी में स्थित माता बगलामुखी मन्दिर में कई नामी हस्तियां तांत्रिक हवन करवाती रही हैं। पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी भी यहां हवन करवा चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी यहां दर्शन व अनुष्ठान करवाते थे । जब वह हिमाचल प्रदेश बीजेपी के प्रभारी थे। सन 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी प्रदेश के इस प्राचीन मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया उसके बाद वह फिर दोबारा सत्ता में आईं और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनीं। इससे पहले भी इस मन्दिर में कई नामी हस्तियां जैसे आतंकवादी विरोधी फ्रंट के अध्यक्ष मनमिंदर सिंह बिट्टा, उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी नेता राज बब्बर, कॉमेडियन कपिल शर्मा भी हाजिरी भर चुके हैं। सियासत से जुड़े लोगों के अलावा कांगड़ा के शत्रुनाशिनी देवी मां बगलामुखी मंदिर में मुकद्दमों में फंसे लोग, परिवारिक कलह व जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए मां बगलामुखी का तांत्रिक शत्रुनाश हवन करवाते हैं। मां बगलामुखी तांत्रिक देवी हैं, इसलिए भक्त तांत्रिक साधना व पूजा करवाते हैं। इस पूजा को गोपनीय रखा जाता है तभी इसका फल जल्दी मिलता है। इस तांत्रिक शत्रुनाशिनी पूजा में पूजा करवाने वाले को अपने शत्रुओं का नाम मन में ही लेना होता है। ऐसी मान्यता है कि अपने मन में सोची गई इच्छा को मां बगलामुखी तत्काल पूरा करती हैं।

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी मनोहर लाल ने बताया कि इस मन्दिर की स्थापना द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक रात में की गई थी जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी और कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है तथा साल भर असंख्य श्रद्धालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिन्तपुर्णी, नगरकोट इत्यादि दर्शन के लिए आते हैं, वह सभी श्रद्धालु इस मंदिर में भी आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है जहां पर लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं।

पंडित दिनेश रत्न ने बताया कि माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8 वां स्थान है तथा इस देवी की अराधना विषेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिये की जाती है। धार्मिक गं्रथों के अनुसार माता बगलामुखी की अराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी। इसके उपरान्त भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की अराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।

पंडित दिनेश रत्न ने बताया कि दोर्णाचार्य, रावण, मेघनाथ इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की अराधना करके अनेक युद्ध लड़े गये। उन्होंने बताया कि नगरकोट के महाराजा संसार चन्द कटोच भी प्राय: इस मन्दिर में आकर माता बगलामुखी की अराधना किया करते थे, जिसके आर्शीवाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी और तभी से इस मन्दिर में श्रद्धालुओं का अपने कष्टों के निवारण के लिये निरन्तर आना आरम्भ हुआ और श्रद्धालु नव ग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं।

उन्होंने बताया कि माता बगलामुखी के सम्पूर्ण भारत में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं, जिसमें से बनखण्डी एक है। यहां पर लोग अपने कष्टों के निवारण के लिये हवन एवं पूजा करवाते हैं और लोगों का अटूट विशवास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती। केवल सच्ची श्रद्धा एवं सद्विचार की आवष्यकता है।

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