कांग्रेस, कुर्सी और कलह: राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल और अब कर्नाटक, सत्ता की मलाई पर दावेदारी की लड़ाई बेहद पुरानी हो गई

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अभिनय आकाश । May 17 2023 6:12PM

विशाल जनादेश के बावजूद कांग्रेस में सीएम पद को लेकर किचकिच शुरू हुई है उसे देख कांग्रेस के अंदरखाने कलह की सारी कहानियां एक बार फिर ताजा हो गई।

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय ने कर्नाटक के नतीजों के बाद शुरू हुए जश्न को लंबे समय तक नहीं देखा था। दिन की शुरुआत में जब कांग्रेस की संख्या 113-116 के आसपास थी, ऐसा लगा कि कांग्रेस को या तो जनता दल (एस) के साथ हाथ मिलाना पड़ सकता है। लेकिन कांग्रेस एक ठोस संख्या और लोकप्रिय वोट के 43% के साथ एक निर्णायक जनादेश प्राप्त किया। लेकिन परिणाम के चार दिन बाद भी सीएम पद को लेकर सस्पेंस बरकरार है। 18 मई को निर्धारित शपथ ग्रहण समारोह से ठीक एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने अभी तक कर्नाटक के लिए अपने मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं की है। शीर्ष दो दावेदार पूर्व सीएम सिद्धारमैया और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने राहुल गांधी से दिल्ली में उनके आवास पर मुलाकात की। यह एक दिन बाद आया है जब दोनों सीएम उम्मीदवारों ने पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि कर्नाटक में अगले 48-72 घंटों में नए मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा।

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कर्नाटक में कहां फंसा है पेंच

पार्टी नेतृत्व दोनों नेताओं के बीच सत्ता साझा करने के लिए अलग-अलग फॉर्मूले पेश कर रहr है, जो राज्य में पार्टी की प्रभावशाली जीत के सूत्रधार थे। टर्म-शेयरिंग एक संभावित तरीका है, ऐसे में शिवकुमार अब सरकार में शामिल नहीं हो सकते हैं, लेकिन केपीसीसी प्रमुख के रूप में बने रहेंगे। कहा जा रहा है कि वो टर्म-शेयरिंग पर सार्वजनिक आश्वासन चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार डीके शिवकुमार ने पार्टी के सामने शर्त रख दी है। उन्होंने कहा है कि सीएम के रूप में पहला हाफ टर्म उन्हें मिले। यानी जो शुरू का टेन्योर है वो शिवकुमार खुद के लिए चाहते हैं। उसके बाद का कार्यकाल सिद्धारमैया को दे दिया जाए। उन्होंने कहा है कि मैं चुपचाप रहूंगा। कुछ नहीं कहूंगा। सूत्रों के हवाले से इससे पहले ये भी  बात सामने आई थी कि सिद्धारमैया कि तरफ से भी कुछ इसी तरह का दावा किया गया था। उन्होंने कहा था कि मेरी तो उम्र 75 साल हो गई है और पहले कार्यकाल मुझे दे दिया जाए। उसके बाद डीके शिवकुमार को बना दिया जाए। सूत्रों ने यह भी कहा कि आलाकमान भी राहुल गांधी से यह कहते हुए बंटा हुआ लगता है कि उन्हें विधायकों के विचारों को ध्यान में रखना चाहिए। पता चला है कि नवनिर्वाचित अधिकांश विधायकों ने सिद्धारमैया का समर्थन किया है। अन्य वरिष्ठ नेताओं का मानना ​​है कि शिवकुमार को कांग्रेस की जीत के पीछे उनकी कड़ी मेहनत के लिए पुरस्कृत किया जाना चाहिए। कम से कम एक नेता ने कहा कि खड़गे को भी "फाइटर्स" पसंद हैं। कुल मिलाकर कहें तो कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर कांग्रेस के सामने पशोपेश कि स्थिति है। 

कलह की कहानियां फिर ताजा हुई

दिल्ली में पिछले तीन दिन से चल रही इस मैराथन मंथन के बीच रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया के सामने आकर साफ कर दिया की अभी फैसले में तीन दिन और लग सकते हैं। जिस तरह से विशाल जनादेश के बावजूद कांग्रेस में सीएम पद को लेकर किचकिच शुरू हुई है उसे देख कांग्रेस के अंदरखाने कलह की सारी कहानियां एक बार फिर ताजा हो गई। मिशाल छोड़कर देखा जाए तो कर्नाटक छोड़ तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। उसमें राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पालयट के बीच सियासी तलवारें खिची हुई हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच बड़ी मुश्किल से तूफान थमा है। हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने प्रतिभा सिंह की चुनौती खड़ी है। 

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पहाड़ी राज्य हिमाचल का भी यही हाल

पिछले साल दिसंबर के महीने की बात है जब कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए तैयार दिख रही थी, तो मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार होने की वजह से पार्टी को समस्या का सामना करना पड़ा था। प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कह दिया था कि पार्टी में मुख्यमंत्री पद के कम से कम आठ दावेदार हैं। सीएम को लेकर कांग्रेस में परिणाम के बाद मंथन चल रही थी तो सुखविंदर सिंह सुखू, मुकेश अग्निहोत्री और प्रतिभा सिंह इस दौड़ में आगे चल रहे थे। हिमाचल पीसीसी प्रमुख और पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह पहली बार 2004 में मध्य हिमाचल के मंडी से महेश्वर सिंह को हराकर लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। 2013 के उपचुनाव में, उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को उसी सीट से हराया था, जिसका प्रतिनिधित्व उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले उनके पति करते थे। वह भाजपा के राम स्वरूप शर्मा की मृत्यु के बाद सांसद चुनी गईं। लेकिन पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और इसकी प्रचार समिति के प्रमुख सुक्खू ने मध्य हिमाचल की नादौन सीट से चुनाव लड़ा था। पार्टी कैडर के बीच स्वीकार्यता वाले तीन बार के विधायक पर ही कांग्रेस ने भरोसा जताया और हिमाचल की कमान सौंपी। 

फेहरिस्त है लंबी

लेकिन इतना ही नहीं पहले पंजाब में भी अमरिंदर सिंह और सिद्धू पर संतुलन बनाते-बनाते कांग्रेस ने सत्ता ही गंवा दी थी। मध्य प्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच इतना असंतुलन बढ़ा की पार्टी भी टूटी और सत्ता भी गंवानी पड़ी। बार-बार कांग्रेस में होती कलह के पीछे आलाकमान के अर्निणय और क्षमता को लेकर गंभीर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं। हालांकि कांग्रेस इस कुर्सी और कलह की कहानी को दोहराना नहीं चाहती इसलिए फूंक-फूंक कर कदम रखे जा रहे हैं। 

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