Rajnath Singh बोले- अमृत काल में नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहा देश, युवाओं की होगी अहम भूमिका
राजनाथ ने कहा कि आज, हमारे देश में 90,000 से अधिक स्टार्ट-अप चल रहे हैं, जो देश में प्रमुख रूप से युवाओं द्वारा संचालित हैं। आज देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। उन्होंने कहा कि भारत, पांचवी सबसे बड़ी उद्योग बनने के साथ, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि जिंदगी में कठिनाइयां और परेशानियां आती-जाती रहती हैं। उन्होंने कहा कि इससे परेशान होकर हम सिर्फ अपना काम खराब करते हैं। इसलिए असफलता और सफलता दोनों स्थितियों में सामान रहकर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना ही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'अमृत काल' में जिन नए संकल्पों के साथ हमारा देश आगे बढ़ रहा है, उसमें प्रबंधन से जुड़े आप जैसे युवाओं की भूमिका बहुत अधिक होने वाली है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से हमारा देश अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है।
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राजनाथ ने कहा कि आज, हमारे देश में 90,000 से अधिक स्टार्ट-अप चल रहे हैं, जो देश में प्रमुख रूप से युवाओं द्वारा संचालित हैं। आज देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। उन्होंने कहा कि भारत, पांचवी सबसे बड़ी उद्योग बनने के साथ, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि निर्यात हो या एफडीआई का प्रवाह, आयकर हो या फिर जीएसटी का रिकॉर्ड संग्रह, हमारा देश लगभग हर मोर्चे पर काफी बेहतर कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत, दुनिया के लिए एक पसंदीदा और सादा निवेश गंतव्य बनकर उभरा है। ऐसी तेजी से भारत को, अगर प्रबंधन से जुड़े हमारे सभी छात्रों की पूरी ताकत मिल जाए, तो हमारा देश खुले गगन में नया विकल्प भरेगा।
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अपने संबोधन में भाजपा नेता ने कहा कि वर्तमान समय में सरकार ने देश में ऐसा इको सिस्टम बनाया है, जिसका लाभ आप सभी युवा क्षेत्रों में आर्थिक क्रांति ला सकते हैं। पिछले कुछ समय में, पिछले कुछ समय में, पिछले कुछ देशों को ऐसे पूर्वानुमान-कानूनों से मुक्त किया गया है, वास्तव में अब इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि सन 2014 में कई बैंकों का एनपीए और घाटे के कारण नुकसान हुए थे। वे नए ऋण की स्थिति में दूर-दूर तक नहीं थे। ऐसी वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए भी सरकार ने कई सुधारों को लेकर चिंता की स्थिति में कुछ ऐसे उपाय किए जो आप में विलय कर रहे हैं किया।
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