राकेश टिकैत ने फिर दी बड़े आंदोलन की चेतावनी, कहा- ना MSP पर बनी कमेटी और ना ही मुकदमे हुए वापस

Rakesh Tikait
अंकित सिंह । May 5 2022 9:33AM

राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर अब तक कोई कमेटी नहीं बनाई है। उन्होंने कहा कि एमएसपी को लेकर सरकार ने किसान मोर्चा से कमेटी के लिए नाम मांगे हैं। परंतु हमने भी सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं। उसका जवाब आते ही हम नाम वापस भेज देंगे।।

एक बार फिर से किसानों के मुद्दे को लेकर राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी दी है। राकेश टिकैत ने कहा कि अगर हमारी मांगों को नहीं माना गया तो देश में बड़ा आंदोलन शुरू करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार किसानों पर मुकदमे लगाने की बड़ी बड़ी साजिश कर रही है। राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर अब तक कोई कमेटी नहीं बनाई है। उन्होंने कहा कि एमएसपी को लेकर सरकार ने किसान मोर्चा से कमेटी के लिए नाम मांगे हैं। परंतु हमने भी सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं। उसका जवाब आते ही हम नाम वापस भेज देंगे।।

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टिकैत ने कहा कि किसान हर हाल में अपना हक लेकर रहेगा। अगर हमें आंदोलन की जरूरत पड़ी तो हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। इसके अलावा राकेश टिकैत ने किसानों के खिलाफ दर्ज केस को लेकर भी सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि समझौता हुआ था कि किसानों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस लिया जाएगा। लेकिन अब तक सिर्फ हरियाणा और पंजाब में ही किसानों पर दर्ज में मुकदमे को वापस लिए गए हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अभी भी मामले वापस नहीं लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले को लेकर किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र सरकार से बात करेगा। राकेश टिकैत ने यह भी दावा कर दिया कि सरकार किसान संगठनों को दबाने के लिए उन पर मुकदमे दर्ज करने की साजिश कर रही है।

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राकेश टिकैत ने दावा किया कि लखीमपुर खीरी में किसानों की बड़ी बैठक का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लखीमपुर में किसान लंबे समय से न्याय की आस में हैं। घायल किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों के हित से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फसलों को वाजिब दाम मिलना चाहिए। बिजली कटौती बढ़ने लगी है। ऐसे में किसानों के समक्ष नए संकट आ गए हैं। लखीमपुर में जो कुछ भी हुआ है उसे पूरे देश ने देखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है जिसके बाद से किसानों में न्याय की आस जगी है। 

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