Kolkata rape case updates: लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक से SC का इनकार, कपिल सिब्बल बोले- वकीलों को मिल रही एसिड अटैक की धमकियां

Kolkata
ANI
अभिनय आकाश । Sep 17 2024 1:39PM

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म तथा हत्या की घटना के संबंध में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर भी गौर किया और कहा कि स्थिति का खुलासा करने से आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी।

कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच 9 अगस्त को शहर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अंदर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को सुनवाई की पिछली तारीख 9 सितंबर को अगले दिन शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर वापस आने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि, अदालत की समय सीमा का पालन नहीं किया गया और ममता बनर्जी सरकार द्वारा डॉक्टरों से बात करने के प्रयास के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर एक वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। 

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सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म तथा हत्या की घटना के संबंध में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर भी गौर किया और कहा कि स्थिति का खुलासा करने से आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी। घटना से संबंधित स्वत: सज्ञान मामले में सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह जनहित का मामला है और जनता को पता होना चाहिए कि अदालत कक्ष में क्या हो रहा है। सुनवाई शुरू होने पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि चैम्बर की महिला वकीलों को तेजाब हमले और दुष्कर्म की धमकियां मिल रही हैं। न्यायालय ने सिब्बल को आश्वस्त किया कि अगर वकीलों और अन्य लोगों को कोई खतरा होगा तो वह कदम उठाएगा।

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इससे पहले बीते दिन 16 सितंबर, 2024 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगों को पूरा किया और घोषणा की कि कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल, कोलकाता पुलिस के उपायुक्त, उत्तर और स्वास्थ्य विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों को बदला जाएगा। प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने इस निर्णय को एक बड़ी जीत और अपने 31 वर्षीय मृतक सहकर्मी के लिए न्याय की मांग करते हुए 38 दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन में एक मील का पत्थर बताया।

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