एकजुटता और रणनीति दोनों स्तर पर भारत अफ्रीका के साथ खड़ा है: एस जयशंकर

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जयशंकर ने कहा कि एकजुटता और रणनीति दोनों स्तर पर भारत अफ्रीका के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, हमने, अपनी क्षमताओं के अनुरूप, खुले दिमाग के साथ बड़े दिल से साझेदारी की है।

नैरोबी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि आधुनिक अफ्रीका का उदय बहुप्रतीक्षित उम्मीद’’ है। इसके साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लिए गए निर्णय वास्तव में तभी वैश्विक होंगे जब इस महादेश की आवाज पर्याप्त रूप से सुनी जाएगी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख निकायों में सुधार किए जाएंगे। जयशंकर ने कहा कि एकजुटता और रणनीति दोनों स्तर पर भारत अफ्रीका के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, हमने, अपनी क्षमताओं के अनुरूप, खुले दिमाग के साथ बड़े दिल से साझेदारी की है।

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आपकी प्राथमिकताओं से हमारी पहल का मार्गदर्शन होता हैं। जयशंकर ने यहां प्रतिष्ठित नैरोबी विश्वविद्यालय में पुनर्निर्मित महात्मा गांधी स्मारक ग्रंथालय के उद्घाटन के मौके पर यह टिप्पणी की। वह प्रमुख पूर्वी अफ्रीकी देश के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के मकसद से शनिवार को तीन दिवसीय यात्रा पर केन्या पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक अफ्रीका का उदय केवल एक महान भावना नहीं है, यह बहुप्रतीक्षित उम्मीद है। एक अरब से अधिक लोगों का यह महादेश जब अपना सही स्थान प्राप्त करेगा, तब अपने ग्रह की पूर्ण विविधता को उचित अभिव्यक्ति मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उसके बाद हम उचित रूप से घोषित कर सकते हैं कि वास्तव में विश्व बहुध्रुवीय है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए गए निर्णय वास्तव में तभी वैश्विक होंगे जब अफ्रीका की आवाज पर्याप्त रूप से सुनी जा सकेगी। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख निकायों में सुधार द्वारा सबसे अधिक होनी चाहिए। भारत और केन्या दो साल के लिए सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं।

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विदेश मंत्री जयशंकर ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह भारत और केन्या के बीच संबंधों के व्यापक महत्व को प्रतिबिंबित करने का भी समय है। उन्होंने कहा, इस विश्वविद्यालय के साथ भारत का जुड़ाव दशकों पुराना है और महात्मा गांधी की स्मृति हमारी मजबूत एकजुटता को रेखांकित करने के लिए थी। यह हमें भारतीय विरासत वाले केन्याई लोगों की भी याद दिलाता है जिन्होंने इस विश्वविद्यालय के विकास और सफलता में योगदान दिया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि दशकों गुजर गए लेकिन यह भावनाएं कमजोर नहीं हुई हैं बल्कि भागीदारी और मजबूती होती गयी और यह परियोजना इसका एक छोटा सा उदाहरण है। उन्होंने दोनों देशों द्वारा शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उठाए गए कदमों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘1956 में इस विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया गया था। छह दशक बाद, इस ग्रंथालय का आधुनिकीकरण हमें एक साथ लाने की याद दिलाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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