आरएसएस सैन्य संगठन नहीं, पारिवारिक माहौल वाला समूह है: भागवत

Mohan Bhagwat

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भले ही भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन देश को कुप्रबंधन और लूट से हुए नुकसान की भरपाई करने की जरूरत है और यह काम समाज का है।

ग्वालियर| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संघ कोई सैन्य संगठन नहीं है, बल्कि पारिवारिक माहौल वाला एक समूह है।

संघ के मध्य भारत प्रांत के स्वर साधकों (म्यूजिकल बैंड) के समापन शिविर को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘ संघ में संगीत कार्यक्रम होते हैं तो यह कोई संगीत शाला नहीं है और न ही कोई व्यायामशाला या मार्शल आर्ट क्लब है। संघ में गणवेश पहनी जाती है तो यह कोई सैन्य संगठन नहीं है। संघ तो कुटुंब निर्माण करने वाली संस्था है। ’’

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उन्होंने कहा कि संगीत, बौद्धिक जैसे कार्यक्रम मनुष्य की गुणवत्ता बढ़ाते हैं और जब समाज ठीक रहेगा तो देश बदलेगा और यदि देश का भाग्य बदलना है तो गुणवत्ता वाला समाज बनाना होगा और संघ यही काम कर रहा है, इसके लिए समाज का विश्वास होना जरूरी है। भागवत यहां बृहस्पतिवार को शुरू हुए घोष शिविर को संबोधित करने शुक्रवार आधी रात को ग्वालियर पहुंचे थे।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भले ही भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन देश को कुप्रबंधन और लूट से हुए नुकसान की भरपाई करने की जरूरत है और यह काम समाज का है।

उन्होंने कहा, हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन इसके लिए संघर्ष 1857 में शुरू हुआ था। एक विचार प्रबल हुआ कि हम अपने घर में एक विदेशी शक्ति से हार गए और चीजों को सीधा करने के प्रयास शुरू किए गए। एक निरंतर राजनीतिक और सामाजिक सुधार कार्य हुआ और हमें स्वतंत्रता मिली।’’

उन्होंने कहा कि यदि देश को बनाना है तो अभी और प्रयास करने होंगे तथा अव्यवस्थाओं और लूट के कारण देश का जो नुकसान हुआ है, उसको ठीक करने में अभी 10-20 वर्ष और लगेंगे। उन्होंने कहा कि राजनेताओं, सरकार और पुलिस द्वारा लाया गया परिवर्तन कुछ समय तक ही रहता है यदि इसे समाज का समर्थन नहीं मिलता है।उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को जोड़कर, गुणवत्ता बनाकर, देश में हित में काम करने का संकल्प लेकर समाज को खड़ा होना होगा।

उन्होंने कहा कि इस काम के लिए वातावरण बनाने का काम संघ करता है और इसमें सभी के योगदान की जरूरत है और इसके लिए संघ से जुड़ना जरूरी नहीं है।

उन्होंने कहा कि संघ से दूर रहकर, घर से ही सभी को अपना मानकर काम करना होगा। चार दिन तक ग्वालियर में चले संघ के स्वर साधकों के सम्मेलन में 450 से ज्यादा स्वर साधकों ने हिस्सा लिया और रविवार की शाम को केदारपुर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के मैदान में अपना प्रदर्शन संघ प्रमुख और आमजन के सामने किया।

इस मौके पर प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान के साथ, सितार वादक उमड़ेकर, हरप्रीत नामधारी, डॉ. जयंत खोट, डॉ. ईश्वरचंद करकरे सहित कई कलाकार उपस्थित थे।

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आरएसएस के पदाधिकारी विनय दीक्षित ने कहा कि आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था जबकि इसकी संगीत शाखा 1927 में बनी थी। उन्होंने कहा कि अभ्यास के दौरान संगीत बैंड, विशेष रुप से ड्रम का उपयोग शाखाओं में किया जाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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