उच्च न्यायालय ने 36 बाघों की मौत संबंधी याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

Madhya Pradesh High Court
प्रतिरूप फोटो

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सांघी ने अदालत को बताया कि इस वर्ष देश में 107 बाघों की मौत हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश के 36 बाघ शामिल हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि कर्नाटक ने विशेष बाघ संरक्षण बल का गठन करके एक मिसाल कायम की है।

जबलपुर (मप्र)| मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश में पिछले 12 महीने में 36 बाघों की मौत के संबंध में दायर जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को सोमवार को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ तथा न्यायमूर्ति विशाल धगट की युगलपीठ ने वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। यह जानकारी दुबे के अधिवक्ता आदित्य सांघी ने दी है।

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सांघी ने बताया कि दुबे की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि देश में सबसे अधिक बाघों की संख्या मध्य प्रदेश में है। ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त होने के बावजूद भी प्रतिवर्ष मध्य प्रदेश में बाघों की मौत के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है। इस वर्ष प्रदेश में 36 बाघों की मौत हुई है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सांघी ने अदालत को बताया कि इस वर्ष देश में 107 बाघों की मौत हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश के 36 बाघ शामिल हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि कर्नाटक ने विशेष बाघ संरक्षण बल का गठन करके एक मिसाल कायम की है।

इस बल के गठन से शिकारियों द्वारा इनका शिकार किये जाने के मामले वहां कम होने के कारण दुनिया भर में इसकी तारीफ हो रही है।

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सांघी ने दलील दी कि मध्यप्र देश में भी बाघों को बचाने के लिए इस तरह के बल की जरूरत है। मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी को निर्धारित की गई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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