सहस्त्रबुद्धे ने उच्च गुणवत्ता की किफायती शिक्षा पर जोर दिया

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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अनिल डी सहस्रबुद्धे ने देश में उच्च गुणवत्ता वाली किफायती शिक्षा उपलब्ध कराए जाने और हर शैक्षणिक संस्थान द्वारा कड़े स्वशासन एवं स्व-नियमन को अपनाए जाने की आवश्यकता पर बृहस्पतिवार को जोर दिया। उन्होंने उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर 15 छात्रों के लिए एक शिक्षक के मानदंड तक पहुंचने का आह्वान किया।

कोलकाता, 12 अगस्त।  अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अनिल डी सहस्रबुद्धे ने देश में उच्च गुणवत्ता वाली किफायती शिक्षा उपलब्ध कराए जाने और हर शैक्षणिक संस्थान द्वारा कड़े स्वशासन एवं स्व-नियमन को अपनाए जाने की आवश्यकता पर बृहस्पतिवार को जोर दिया। उन्होंने उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर 15 छात्रों के लिए एक शिक्षक के मानदंड तक पहुंचने का आह्वान किया। सहस्त्रबुद्धे ने एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता की वकालत की, जिसमें उच्च शिक्षा में स्व-शासन और स्व-नियमन दो महत्वपूर्ण पूर्व अनिवार्यताएं हों। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को संकाय एवं प्रयोगशाला संबंधी आवश्यकता को पूरा करना चाहिए और उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए।’’

उन्होंने ‘इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स’ द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हालांकि हमारे देश में शिक्षा का किफायती होना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें उच्च गुणवत्ता और समान शिक्षा के मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए।’’ सहस्त्रबुद्धे ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि प्राचीन नालंदा या तक्षशिला विश्वविद्यालय की तरह 1:5 शिक्षक-छात्र अनुपात आज संभव है। उस अनुपात में शिक्षक ढूंढना समस्या है, क्योंकि देश के स्कूलों में लगभग 25 करोड़ और उच्च शिक्षण संस्थानों में चार करोड़ हैं।’’ उन्होंने स्कूलों एवं उच्च शिक्षा में सकल पंजीकरण अनुपात बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य स्नातकों को रोजगार के अनुकूल, उपयोगी और नैतिकता के आधार पर उच्च बनाना है... प्रत्येक व्यक्ति में कुछ बुनियादी गुण होते हैं।

हमारा दायित्व है कि उसकी प्रतिभा को पहचाना जाए, उसे निखारा एवं चमकाया जाए और उसे बढ़ने का माहौल दिया जाए।’’ सहस्रबुद्धे ने शिक्षा प्रौद्योगिकी के विषय पर कहा कि इसने भारतीय छात्रों में ऐसे विभिन्न सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है, जिनकी कोरोना वायरस महामारी से पहले कल्पना नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान छात्र और शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के अधिक अभ्यस्त हो गए। उन्होंने उभरती शिक्षा प्रौद्योगिकियों को नयी शिक्षा नीति के अनुकूल बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान ब्रिटेन के उप उच्चायुक्त निकोलस लो ने कहा कि ब्रिटेन भारत में उभरते हुए शिक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दिलचस्पी ले रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या चीन से अधिक हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘31 मार्च, 2022 तक हमने भारतीय छात्रों के लिए 1,100 वीजा जारी किए हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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