पराली जलाने से रोकने के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में SC ने बनाई कमेटी

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न्यायालय ने अदालत द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) तथा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को उन खेतों की निगरानी में लोकुर समिति की मदद करने का निर्देश दिया जिनमें पराली जलाई जाती है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियनभी शामिल हैं।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पंजाब ,हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर रोक संबंधी कदम उठाने के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति शुक्रवार को गठित की। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने समिति के सहयोग के लिए राष्ट्रीय कैडट कोर(एनसीसी) और राष्ट्रीय सेवा योजना और भारत स्काउट्स की तैनाती के निर्देश दिए साथ ही समिति के गठन पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कीआपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि संबंधित राज्यों की दलीलें सुनी जा चुकी हैं। न्यायालय ने अदालत द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) तथा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को उन खेतों की निगरानी में लोकुर समिति की मदद करने का निर्देश दिया जिनमें पराली जलाई जाती है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियनभी शामिल हैं। 

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पीठ ने कहा,‘‘ हम बस इतना चाहते हैं कि दिल्ली और एनसीआर के लोग बिना किसी प्रदूषण के स्वच्छ हवा में सांस ले सकें।’’ केन्द्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से पेश मेहता ने पीठ से कहा कि एक सदस्यीय समिति के गठन से उन्हें ‘‘कुछ आपत्तियां’’ हो सकती हैं साथ ही कहा कि ईपीसीए को पराली जलाने से रोकने के लिए निगरानी प्राधिकार होना चाहिए। मेहता ने कहा,‘‘ हमें पूर्व न्यायाधीश लोकुर को परेशान नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने पीठ से मामले की सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र और संबंधित राज्यों को समिति गठित करने के संबंध में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा कि न्यायालय समिति के सदस्य का चयन नामों के एक पैनल से कर सकता है। शीर्ष अदालत ने संबंधित राज्यों को निर्देश दिया कि वे लोकुर समिति को पर्याप्त सुरक्षा, सचिवालयीय अवसंरचना और परिवहन प्रदान करें। अदालत ने समिति को अपनी रिपोर्ट हर पखवाड़े पेश करने के निर्देश दिए। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति मदन लोकूर ने पराली जलाने के पहलू सहित प्रदूषण से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी। पीठ पराली जलाने की वजह से प्रदूषण की स्थिति को लेकर आदित्य दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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