SC ने राज्य सरकारों को लताड़ा, कहा- गौरक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं

SC scolds state governments, said Violence can not tolerated
[email protected] । Jul 3 2018 3:38PM

गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुये उच्चतम न्यायालय ने इस तरह की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिये दिशानिर्देश हेतु दायर याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली।

नयी दिल्ली। गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुये उच्चतम न्यायालय ने इस तरह की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिये दिशानिर्देश हेतु दायर याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनायेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने सख्त शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। 

पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और इसके लिये प्रत्येक राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी। इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि गौ रक्षा के नाम पर हिंसा की घटनायें वास्तव में भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा है और यह अपराध है। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि केन्द्र इस समस्या के प्रति सचेत है और इससे निबटने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य चिंता तो कानून व्यवस्था बनाये रखने की है। 

पीठ ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता और ऐसी घटनाओं की रोकथाम करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। ।शीर्ष अदालत ने पिछले साल छह सितंबर को सभी राज्यों से कहा था कि गौ संरक्षण के नाम पर हिंसा की रोकथाम के लिये कठोर कदम उठाये जायें। इसमें प्रत्येक जिले में एक सप्ताह के भीतर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाये और उन तत्वों के खिलाफ तत्परता से अंकुश लगाया जाये खुद के ही कानून होने जैसा व्यवहार करते हैं। 

इसके साथ शीर्ष अदालत ने राजस्थान , हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिये दायर याचिका पर इन राज्यों से जवाब भी मांगा था। यह अवमानना याचिका महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन तीन राज्यों ने शीर्ष अदालत के छह सितंबर , 2017 के आदेशों का पालन नहीं किया है।

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