दिग्विजय सिंह के गढ़ में सिंधिया ने लगाई सेंध, कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी

Scindia broke into Digvijay Singh's stronghold
मोहन बघेल । Jan 20 2021 9:51AM

हीरेन्द्र सिंह बना के भाजपा में शामिल होने की चर्चा गुना जिले में तेजी से फैली, इसका असर ये हुआ कि अधिकतर लोगों ने बना को जन्म दिन की बधाई देने के बहाने भाजपा में उनके साथ कांग्रेस छोड़कर शामिल होने की सहमति भी दी। भले ही बना भाजपा में अभी शामिल नहीं हुए हों लेकिन उनके भाजपा में आने के संकेत शहर में भाजपा नेताओं की ओर से लगाए गए होर्डिंगों से मिलने लगे हैं।

गुना।  एक बार फिर गुना जिले की कांग्रेस की राजनीति में भूचाल आने वाला है। इस बार यह भूचाल राघौगढ़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया ला रहे हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ में सेंध लगाकर युवा कांंग्रेस नेता हीरेन्द्र सिंह चौहान उर्फ बंटी बना को भाजपा में लाने में सफल हो गए हैं। दिग्विजय सिंह के काफी नजदीकी रहे युवा कांग्रेस नेता हीरेन्द्र सिंह बना की कांग्रेस में लंबे समय से उपेक्षा हो रही थी। जिसके बाद हीरेन्द्र सिंह उर्फ बंटी बना भी भाजपा में आने के लिए तैयार हो गए हैं। संभवत: पांच फरवरी को सिंधिया उन्हें हजारों समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराएंगे। बना के भाजपा में आने से जहां राघौगढ़ में कांग्रेस कमजोर हो सकती है तो वहीं भाजपा को आगामी विधानसभा व नगरीय निकाय के चुनाव में मजबूती मिलेगी।

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राजनीतिक सूत्रों की माने तो राघौगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मित्र रहे मूलसिंह के बेटे हीरेन्द्र सिंह को दिग्विजय सिंह ने दो दशक पूर्व कांग्रेस में सक्रिय किया था। हीरेन्द्र सिंह ने राघौगढ़ विधानसभा में कांग्रेस को मजबूत किया, जिसका परिणाम यह रहा कि भाजपा वहां कभी विजयश्री हासिल नहीं कर सकी और कांग्रेस से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह विधायक बने। यही नहीं हीरेन्द्र सिंह के पिता मूलसिंह ने दिग्विजय सिंह के लिए अपनी विधायकी छोड़ दी थी। 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद दिग्विजय सिंह ने मूलसिंह द्वारा खाली की गई राघौगढ़ सीट से ही चुना लड़ा था।

 

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वही राघौगढ़ राजपरिवार की राजनीतिक विरासत में अह्म भूमिका निभाने वाले क्षत्रिय समाज के हीरेन्द्र सिंह बना की लंबे समय से कांग्रेस में उपेक्षा हो रही थी, इसकी वजह उनकी चांचौड़ा विधायक लक्ष्मण सिंह और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह से न बनना रही। इसको लेकर कई बार दिग्विजय सिंह और हीरेन्द्र सिंह के बीच वार्ता हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। राघौगढ़ में बंटी बना की पहचान क्षत्रिय समाज में ही नहीं बल्कि सभी समाजों के बीच अच्छी-खासी है, इसका लाभ कांग्रेस को चुनाव के समय मिलता रहा है। 

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बताया जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गुना जिले के कई कांग्रेस नेता भाजपा में चले गए थे। लेकिन राघौगढ़ में भाजपा उतनी मजबूत नहीं हो पा रही थी, जितनी सिंधिया चाह रहे थे। इसी बीच हीरेन्द्र सिंह बना की उपेक्षा का मामला सिंधिया के समक्ष पहुंचा तो बना और सिंधिया के बीच बीते दिसंबर माह में दिल्ली में वार्ता हुई, उसमें बना सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा में आने को तैयार हो गए। उनकी सिंधिया से दो-तीन बार भाजपा में शामिल होने को लेकर चर्चा हो चुकी है। 

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इसी बीच कुछ समय पूर्व फेसबुक के जरिए सोशल मीडिया पर पूर्व जनपद सदस्य रहे हीरेन्द्र सिंह बना की एक पोस्ट जमकर वायरल हुई थी उसमें उन्होंने कहा कि मैंने चार महीने इंतजार किया कि कोई राज परिवार से मेरे दर्द को समझे, लेकिन अभिमान के वसीभूत किसी ने मेरी सुध नहीं ली और आज मैं मजबूर होकर अपना निर्णय लेने जा रहा हूं क्योंकि मुझे मेरा वजूद कायम रखना है, दोस्तों माफी चाहता हूं। उन्होंंने यह भी कहा था कि दिग्विजय सिंह मेरे पिता तुल्य, लेकिन वह मदद के लिए समर्थ नहीं हैं। हीरेन्द्र सिंह ने कहा कि अब मैं अपने पिता द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर राघौगढ़ में जनसेवा के लिए उतरुंगा।

 

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हीरेन्द्र सिंह बना के भाजपा में शामिल होने की चर्चा गुना जिले में तेजी से फैली, इसका असर ये हुआ कि अधिकतर लोगों ने बना को जन्म दिन की बधाई देने के बहाने भाजपा में उनके साथ कांग्रेस छोड़कर शामिल होने की सहमति भी दी। भले ही बना भाजपा में अभी शामिल नहीं हुए हों लेकिन उनके भाजपा में आने के संकेत शहर में भाजपा नेताओं की ओर से लगाए गए होर्डिंगों से मिलने लगे हैं। वहीं भाजपा के कई वरिष्ठ नेता उनको जन्म दिन की बधाई देने भी पीलीघटा हाउस पहुंचे है। 

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