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नोएडा में 31 जनवरी तक धारा 144 लागू, बिना इजाजत प्रदर्शन करने पर चलेगा धारा 188 के तहत मुकदमा
- अभिनय आकाश
- जनवरी 23, 2021 12:40
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एडिशनल डीसीपी, लॉ एंड ऑर्डर आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 31 जनवरी तक नोएडा में धारा 144 लागू कर दी गई है। लोगों को बिना अनुमति के कोई भी जुलूस निकालने या विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली सहित आसपास के तमाम इलाको की सुरक्षा सख्त की जा रही है। एनसीआर में भी सुरक्षा चाक-चौबंद करने की तैयारियां तेज है। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में पुलिस ने 31 जनवरी तक के लिए सीआरपीसी के अंतर्गत धारा 144 लागू कर दी है। जिसके बाद अब बिना इजाजत के प्रदर्शन नहीं की जा सकती है और ना ही निजी ड्रोन उड़ाए जा सकेंगे। धारा 144 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर धारा 188 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
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एडिशनल डीसीपी, लॉ एंड ऑर्डर आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 31 जनवरी तक नोएडा में धारा 144 लागू कर दी गई है। लोगों को बिना अनुमति के कोई भी जुलूस निकालने या विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है।
Section 144 has been imposed in Gautam Buddh Nagar in Noida till January 31 in view of Republic Day, to maintain law and order. People are not allowed to take out any processions or hold protests without permission: Ashutosh Dwivedi, Additional DCP, Law and Order
— ANI UP (@ANINewsUP) January 23, 2021
LAC मामले पर भारत ने चीन से कहा, टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाना जरूरी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 26, 2021 14:30
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विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बृहस्पतिवार को 75 मिनट तक टेलीफोन पर हुई बातचीत का विवरण जारी करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि चीन से कहा गया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पिछले साल से गंभीर असर पड़ा है।
नयी दिल्ली। सरहद पर शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए जरूरी बताते हुए भारत ने चीन से कहा है कि सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल को लेकर जरूरी है कि टकराव वाले सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए। दोनों देशों ने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए हॉटलाइन संपर्क तंत्र भी स्थापित करने पर सहमति जतायी है। पिछले सप्ताह भारत और चीन की सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और साजो-सामान को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न की।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बृहस्पतिवार को 75 मिनट तक टेलीफोन पर हुई बातचीत का विवरण जारी करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि चीन से कहा गया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पिछले साल से गंभीर असर पड़ा है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा संबंधी प्रश्न को सुलझाने में समय लग सकता है लेकिन हिंसा होने, और शांति तथा सौहार्द बिगड़ने से संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्री लगातार संपर्क में रहने और एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात और भारत-चीन के बीच समग्र संबंधों को लेकर चर्चा की। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा देर रात जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि चीन और भारत को आपसी भरोसे के सही मार्ग का कड़ाई से पालन करना चाहिए और दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए। स्टेट काउंसलर का भी पद संभाल रहे वांग ने कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर रखने के लिए सीमा मुद्दों को उचित तरीके से निपटाना चाहिए।
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विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक जयशंकर ने मॉस्को में सितंबर 2020 में अपनी बैठक का हवाला दिया जहां भारतीय पक्ष ने यथास्थिति को बदलने के चीनी पक्ष के एकतरफा प्रयास और उकसावे वाले बर्ताव पर चिंता प्रकट की थी। जयशंकर ने कहा कि पिछले साल मॉस्को में बैठक के दौरान उनके बीच सहमति बनी थी कि सीमाई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति दोनों देशों के हित में नहीं है और फैसला हुआ था कि दोनों पक्षों वार्ता जारी रखेंगे, सैनिकों को पीछे हटाएंगे और तनाव घटाने के लिए कदम उठाएंगे।
विदेश मंत्री ने कहा कि उसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार संपर्क कायम रहा। इससे प्रगति हुई और इस महीने पैंगोंग झील वाले इलाके में तैनात सैनिकों को पीछे हटाया गया। पैंगोंग झील इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न होने का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने जोर दिया कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर बाकी मुद्दों को भी सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए। सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों के बीच 10 वें दौर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया।
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जयशंकर ने वांग से कहा कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक वांग ने अब तक हुई प्रगति पर संतोष जताया और कहा कि सीमाई क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बहाली की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। वांग ने सीमाई क्षेत्रों में प्रबंधन और नियंत्रण भी बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया वहीं जयशंकर ने रेखांकित किया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए सीमाई क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने पर सहमत रहे हैं।
वांग ने कहा कि भारतीय पक्ष ने संबंधों के लिए ‘आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हितों’ को ध्यान में रखने का प्रस्ताव दिया। चीनी विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि सीमा पर विवाद एक हकीकत है और इस पर समुचित ध्यान दिए जाने और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। हालांकि, सीमा विवाद भारत-चीन के समूचे रिश्तों को बयां नहीं करता है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी। इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। झड़प के आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए थे।
एयर स्ट्राइक के बाद NSA डोभाल से बोले एयर चीफ मार्शल, बंदर मारा गया
- अभिनय आकाश
- फरवरी 26, 2021 14:01
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बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद तत्कालीन वायु सेना प्रमुख बीएस धनोवा को एक स्पेशल आरएक्स नंबर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का फोन आया। आरएक्स एक अल्ट्रा सिक्योर फिक्स लाइन नेटवर्क है। उन्होंने फोन पर हिंदी में कहा बंदर मारा गया।
14 फरवरी की तारीख को पुलवामा में जो आतंकवादी हमला पाकिस्तान के जैश ए मोहम्मद ने किया था। उसके 11 दिन बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। मंगलवार की वो सुबह जब भारतीय सेना के विमानों ने पाकिस्तान के कई आतंकी शिविरों पर बम बरसाए और सुबह 3 बजे के तड़के हुए इस हमले में 300 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबरें सामने आई। परमाणु हमलों से लैस दो देशों के सेनाओं के बीच सीधी भिड़ंत देखे दुनिया को कुछ वक्त हो गया था। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना थी। लेकिन 1971 के बाद भारत ने उसका इस्तेमाल कभी अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा के बाहर नहीं किया था। लेकिन 26 फरवरी को ये सब बदल गया। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में जबा टॉप पर जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर हमले किए। इसे आत्मरक्षा में की गई एक असैन्य कार्रवाई बताया गया।
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दो साल बाद ऑपरेशन के बारे में और अधिक जानकारी सामने आई है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों को चकमा देने के लिए ऑपरेशन का कोड बंदर जानबूझकर रखा गया था। ये कोड भावलपुर में आतंकी संगठन के जैम के मुख्यालय के संदर्भ में था। सट्राइक से पहले पाकिस्तानी इंटेलिजेंस को धोखे में रखने के लिए राजस्थान के आसमान में भारतीय फाइटर जेट उड़ाए गए। जिससे की पाक का पूरा ध्यान इस ओर आ जाए और वो अपनी पूरी ताकत इस ओर लगा दे। नजीते के मुताबिक भारतीय सेना के अपग्रेड मिराज 2000 ने 90 किलोग्राम स्पाइस 2000 के पैनट्रेटेड बम बरसाए।
बंदर मारा गया
26 फरवरी साल 2019 के सुबह करीब पौने चार बजे तत्कालीन वायु सेना प्रमुख बीएस धनोवा को एक स्पेशल आरएक्स नंबर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का फोन आया। आरएक्स एक अल्ट्रा सिक्योर फिक्स लाइन नेटवर्क है। उन्होंने फोन पर हिंदी में कहा बंदर मारा गया। धनोवा की ओर से फोन पर बोले गए शब्दों का मैसेज साफ था कि पाकिस्तान के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकी कैंप को भारतीय लड़ाकू जेट ने सीमा पार तबाह कर दिया है। धनोवा ने उस वक्त की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और रिसर्च एंड एनिलिसिस विंग के अनिल धस्माना को भी इसी तरह कॉल की थी। इसके बाद एनएसए डोभाल ने पीएम मोदी को एयर स्ट्राइक की जानकारी दी।
स्टेडियम का नाम बदले जाने पर शिवसेना का तंज, प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 26, 2021 14:00
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शिवसेना ने कहा कि पिछले पांच साल में आरोप लगाए गए कि कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने इतिहास से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नामोनिशान मिटाने का प्रयास किया, लेकिन स्टेडियम का नाम बदले जाने से यह जाहिर हो गया है कि असल में कौन ऐसा प्रयास कर रहा है।
मुंबई। अहमदाबाद के सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखने को लेकर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं’’ है। शिवसेना ने कहा कि पिछले पांच साल में आरोप लगाए गए कि कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने इतिहास से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नामोनिशान मिटाने का प्रयास किया, लेकिन स्टेडियम का नाम बदले जाने से यह जाहिर हो गया है कि असल में कौन ऐसा प्रयास कर रहा है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मोदी-शाह (नरेंद्र मोदी-अमित शाह) सरकार गुजरात में हर बड़ा काम करना चाहती है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे भूल गये हैं कि वे देश का नेतृत्व कर रहे हैं...अहमदाबाद (गुजरात) में मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया। अब तक मेलबर्न (आस्ट्रेलिया) स्टेडियम दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम था। अब मोदी के नाम वाला यह स्टेडियम सबसे बड़ा होगा।’’ संपादकीय में कहा गया, ‘‘इस कदम की आलोचना क्यों हो रही है ? इसलिए कि पहले मोटेरा स्टेडियम का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा गया था और अब इसका नाम मोदी के नाम पर रख दिया गया है।’’ ‘सामना’ में कहा गया है, ‘‘नि:संदेह मोदी महान नेता हैं, लेकिन यदि उनके अंधभक्तों को लगता है कि वह महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल या इंदिरा गांधी से भी महान हैं, तो इसे अंधभक्ति में एक और मुकाम मानना चाहिए।’’ संपादकीय में कहा गया कि जिन लोगों ने मोटेरा स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर रखा है, दरअसल उन्होंने मोदी का कद घटाने का प्रयास किया है।वाचा दै. सामनाचा आजचा अग्रलेखhttps://t.co/amk582OWFk
— Saamana (@SaamanaOnline) February 26, 2021
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शिवसेना ने कहा, ‘‘मोदी लोकप्रिय नेता है। लोगों ने उन्हें प्रचंड जनादेश दिया। लेकिन बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है। सरदार पटेल और नेहरू के पास बहुमत देश के विकास की आधारशिला रखने के लिए था।’’ सामना में कहा गया, ‘‘नेहरू ने आईआईटी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भाखड़ा नांगल परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान क्या काम हुआ। सरदार पटेल के नाम पर बने स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया।’’ सामना में कहा गया है, ‘‘सरदार पटेल का कल तक गुणगान करने वाले लोग एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार पटेल के विरोधी बन रहे हैं। ऐसा लगता है कि आज की राजनीति में पटेल का महत्व खत्म हो गया है और यही चीज पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद नेताजी (सुभाष चंद्र) बोस के साथ होगी।

