सहगल फाउंडेशन FICCI कृषि पुरस्कार 2021 से सम्मानित

Sehgal Foundation

सहगल फाउंडेशन के कृषि विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों का क्षमता निर्माण करना, बेहतर कृषि पद्धतियों और फसल की पैदावार बढ़ाने वाली नई तकनीकों, जल संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करके जलवायु अनुकूल कृषि विकास को बढ़ावा देना है।

ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूल कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए एस एम सहगल फाउंडेशन को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) द्वारा कृषि पुरस्कार (दूसरा स्थान) 2021 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार सहगल फाउंडेशन की ओर से मुख्य विकास अधिकारी, सुश्री अंजलि गोदयाल, और प्रिंसिपल लीड, आउटरीच फॉर डेवलपमेंट, सुश्री पूजा ओ. मुरादा, द्वारा प्राप्त किया गया। आज यह पुरस्कार समारोह FICCI फेडरेशन हाउस, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। FICCI द्वारा आयोजित इस पुरस्कार समारोह का मुख्य लक्ष्य स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने और पहले से उपलब्ध संसाधनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाता है। 

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सहगल फाउंडेशन के कृषि विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों का क्षमता निर्माण करना, बेहतर कृषि पद्धतियों और फसल की पैदावार बढ़ाने वाली नई तकनीकों, जल संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करके जलवायु अनुकूल कृषि विकास को बढ़ावा देना है। फाउंडेशन की टीमें छोटे किसानों को मिट्टी जांच के आधार पर ज़रूरी पोषक तत्व उपलब्ध करवाना और उपज गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बेहतर कृषि तकनीकों और प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण देती है ताकि किसान कृषि में उन्नत तकनीकों को अपनाकर बेहतर उपज प्राप्त कर सकें। कृषि को जलवायु अनुकूल बनाए रखने के लिए मिट्टी जाँच, उचित बीज दर, बीज बोने के तरीके, आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की सही गुणवत्ता को खेत में डालना, कीट और खरपतवार प्रबंधन कर फसलों को बीमारियाँ से बचाने का प्रशिक्षण किसानों को प्रशिक्षण सत्रों, खेत दिवस आदि का आयोजन कर प्रदान किया जाता है। इसी के साथ बागवानी, पशुधन प्रबंधन और कृषि में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपयोग के बारे में भी किसानों को जागरूक करना इसमें शामिल है।

प्रशिक्षण में जल संरक्षण के लिए सूक्ष्म व ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, लेजर लेवलिंग, डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) जैसी पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाता है। जल संरक्षण पद्धतियों के उपयोग से पानी की खपत 25 से 85 प्रतिशत कम हो जाती है । जल बचाने वाली कृषि तकनीकों के साथ-साथ जुताई तकनीकों को बढ़ावा देना जैसे जीरो टिलेज और मल्चिंग से मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों में वृद्धि होती है और फसलों के विकास के लिए अनुकूल वातारण मिलता है। इसके अलावा सौर उर्जा कृषि पद्धतियों का कृषि में प्रयोग पर्यावरण के लिए उपयोगी है। सौर उर्जा कृषि पद्धति कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है। इसके तहत सोलर जल पंप और सोलर स्प्रे शामिल हैं। सब्जियां उगाने वाले छोटे किसानों के बीच सोलर जल पंपों को बढ़ावा दिया जाता है इससे किसानों की लागत काम होती है व पैदावार बढती है। इसी के साथ किसानों को ग्रीन हाउस खेती को अपनाने के लिए बढ़ावा दिया जाता है जो जलवायु प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए ज़रूरी है जो फसल की विभिन्न कीटों से रक्षा करता है।

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साल 2019-20 में कृषि विकास कार्यक्रम के तहत सहगल फाउंडेशन ने कुल 544 प्ररिक्षण सत्र/ बैठके आयोजित की और किसान के साथ लेजर लेवलिंग 6724 एकड़, किचेन डेमो 1699, ड्रिप और स्प्रिंकलर 215 एकड़, सोलर पंप से सिंचाई 110 एकड़ और जीरो टिलेज 389 एकड़ की गई ।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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