अलगाववादी नेता गिलानी ने पार्टी से दिया इस्तीफा, जानें क्या है हुर्रियत की पूरी कहानी?

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अभिनय आकाश । Jun 29 2020 12:20PM

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में 23 अलग-अलग धड़े हैं। इसके बड़े नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, सैयद अली शाह गिलानी, मुहम्मद यासीन मलिक प्रमुख चेहरे हैं। लेकिन ये वो लोग हैं जो अपनी जरूरत और सुविधा के मुताबिक नागरिकता चुनते हैं और देश का माहौल खराब करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

देश में कोरोना संकट जारी है। वहीं जम्मू कश्मीर भी इससे अछूता नहीं है और यहां कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा सात हजार को पार कर गया। कोरोना के कुल मामले बढ़कर 7093 हो गए हैं। कश्मीर संभाग से 102 और जम्मू संभाग से 25 नए मामलों की पुष्टि हुई। लेकिन इन सब के बीच जम्मू कश्मीर की राजनीति ने एक बड़ी खबर ने सभी का ध्यान खींच लिया। दरअसल, जम्मू कश्मीर के सीनियर हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। एक ओडियो संदेश के जरिए गिलानी ने कहा कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में सभी तो बता दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।

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क्या है हुर्रियत कांफ्रेंस 

साल 1987 में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। घाटी में इसके खिलाफ जमकर विरोध हुआ। इस चुनाव में भारी बहुमत से जीतकर फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में अपनी सरकार बनाई। इसके विरोध में खड़ी हुई विरोधी पार्टियों की मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट को महज 4 सीटों पर संतोष करना पड़ा जबकि जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस को 40 और कांग्रेस को 26 सीटें मिलीं। इसके ही विरोध में घाटी में 13 जुलाई 1993 को ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस की नींव रखी गई। हुर्रियत कांफ्रेंस का काम पूरी घाटी में अलगाववादी आंदोलन को गति प्रदान करना था। यह एक तरह से घाटी में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के विरोध स्वरूप एकत्रित हुई छोटी पार्टियों का महागठबंधन था।

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यासीन मलिक से लेकर गिलानी तक 

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में 23 अलग-अलग धड़े हैं। इसके बड़े नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, सैयद अली शाह गिलानी, मुहम्मद यासीन मलिक प्रमुख चेहरे हैं। लेकिन ये वो लोग हैं जो अपनी जरूरत और सुविधा के मुताबिक नागरिकता चुनते हैं और देश का माहौल खराब करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

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गिलानी  की भारत विरोधी हरकतें

1 मई 2015- पाकिस्तानी झंडों के बीच संबोधन

29 जनवरी 2015- त्राल में मारे गए आतंकियों को श्रद्धांजलि 

अगस्त 2014- सेना को कश्मीर समस्या की वजह बताया

2 मार्च 2012- एक आतंकी के लिए वीजा की मांग की

6 मई 2011- ओसामा बिन लादेन को महान बताया

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