शिवकुमार का कर्नाटक में सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ने पर जोर

DK Shivkumar
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शिवकुमार ने यहां संवाददाताओें से कहा, ‘‘(कांग्रेस नेता) राहुल गांधी ने कहा है कि पार्टी ने (विधानसभा) चुनाव सामूहिक नेतृत्व के तहत लड़ने का फैसला किया है। मैं यह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कह रहा हूं।’’

बेंगलुरु| कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव के लिए सिद्धरमैया को कांग्रेस के मुख्यमंत्री प्रत्याशी के तौर पर पेश किए जाने के प्रयासों के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने रविवार को सामूहिक नेतृत्व पर जोर दिया।

शिवकुमार ने कहा कि वह पार्टी में व्यक्ति विशेष आधारित गुट का समर्थन नहीं करते तथा उनके मन में इस तरह के गुट के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर पेश किए जाने के आकांक्षी शिवकुमार ने दावा किया कि कांग्रेस के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और निष्ठा का कोई सानी नहीं है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने रेखांकित किया कि जब उन्हें पूर्व में मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, तो उन्होंने कोई असहमति व्यक्त नहीं की थी।

शिवकुमार ने यह भी उल्लेख किया कि उनके नेतृत्व में पार्टी ने सत्ता में नहीं होने के बावजूद अपना जनाधार बढ़ाया है। कांग्रेस वर्ष 2013 से 2018 के बीच अपने बलबूते सत्ता में थी और उस समय सिद्धरमैया मुख्यमंत्री थे। इसके बाद वर्ष 2018-2019 में कांग्रेस, जनता दल (सेक्युलर) के साथ गठबंधन सरकार में थी और तब एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे।

शिवकुमार ने यहां संवाददाताओें से कहा, ‘‘(कांग्रेस नेता) राहुल गांधी ने कहा है कि पार्टी ने (विधानसभा) चुनाव सामूहिक नेतृत्व के तहत लड़ने का फैसला किया है। मैं यह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कह रहा हूं।’’

अपने और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया के बीच दूरियों के सवाल पर शिवकुमार ने कहा, ‘‘मुझे क्यों लड़ना चाहिए? जब मुझे उनके द्वारा मंत्री नियुक्त नहीं किया गया, तब मैंने विरोध में आवाज नहीं उठाई, मैंने एक शब्द नहीं कहा। राज्य में मुझ जैसा प्रतिबद्ध कार्यकर्ता बनकर दिखाएं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2013 में जब कांग्रेस सत्ता में आई तो उन्होंने (सिद्धरमैया) मुझे अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया। मैंने जीत के लिए काम किया लेकिन चुप रहा।

करीब तीन-चार महीने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) अध्यक्ष सोनिया गांधी ने निर्देश दिया, तब मुझे शामिल किया गया। तब भी मैंने कुछ नहीं बोला। हमने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा उस समय मैंने प्रचार समिति के प्रमुख के तौर पर काम किया।’’

शिवकुमार ने कहा, ‘‘मेरे लिए व्यक्तित्व अहम नहीं है बल्कि पार्टी महत्वपूर्ण है। हमारा अस्तित्व पार्टी की वजह से है। मैं व्यक्ति आधारित गुट का सम्मान नहीं करता, मैं पार्टी की पूजा का सम्मान करता हूं। मैं कार्यकर्ताओं से भी यही अनुसरण करने का आह्वान करता हूं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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