भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को नष्ट करेगी शिवराज सरकार, जारी किया टेंडर
यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को नष्ट करने की तैयारी शुरू की है। इसे लेकर पहली बार टेंडर जारी किया गया है। इसमें गुजरात की दो कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी भी दिखाई है।
भोपाल। राजधानी भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल बाद सरकार ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को नष्ट करने की तैयारी शुरू की है। इसे लेकर पहली बार टेंडर जारी किया गया है। इसमें गुजरात की दो कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी भी दिखाई है।
बता दें कि साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी भारतीय इतिहास की वो दर्दभरी घटना है जिसे प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोग चाहकर भी भूल नहीं सकते। दिसंबर के महीने में यूनियन कार्बाइड कारखाने में जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों की जान चली गई थी।
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वहीं यूनियन कार्बाइड कारखाना अब खंडहर में तब्दील हो चुका है लेकिन उसके अंदर मौजूद जहरीला कचरा जस का तस पड़ा हुआ है। लेकिन अब शिवराज सरकार इस जहरीले कचरे को नष्ट करने की पूरी तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने टेंडर भी जारी कर दिया है। जिसमें गुजरात की दो कंपनियों चेतन कुमार वीरचंद भाईसा मल्टी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और ऑयल फील्ड एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है।
दरअसल ये दो कंपनी जहरीले कचरे को नष्ट करने में तकनीकी रुप से कितनी सक्षम है। इसकी जांच करने के लिए अगले हफ्ते सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और राज्य सरकार के अफसरों की कमेटी गुजरात जाएगी।
हालांकि यूनियन कार्बाइड में दफन जहरीले कचरे के नष्टीकरण के लिए जारी टेंडर का भोपाल गैस पीड़ित संगठन ने विरोध किया है। संगठन ने सरकार पर जहरीले कचरे का वजन कम आंकने का आरोप लगाया है। संगठन ने कहा है कि सरकार ने ज़हरीले कचरे का वजन सिर्फ 337 मीट्रिक टन बताया है जबकि यूनियन कार्बाइड में 21 जगह लाखों टन ज़हरीला कचरा दफन है इसका कोई आकलन नहीं किया गया।
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