एक बार फिर छिड़ा जय श्री राम का मुद्दा, निलंबित DGP बोले- इसे बढ़ाने की जरूरत है

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केरल के थ्रिसुर इलाके में रामकथा कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे जैकब थॉमस ने ऐसा बयान दिया कि आज वह राष्ट्रीय समाचारों में छाए हुए हैं।

भगवान श्री राम के नाम पर देश में पिछले कुछ वक्त से हंगामा देखने को मिलता रहा है। अगर बात हम सिर्फ पश्चिम बंगाल की ही कर लें तो वहां पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस जय श्री राम के नारे को लेकर आमने सामने रहती हैं। लेकिन इस बार मामला केरल का है। जहां पर निलंबित पुलिस महानिदेशक जैकब थॉमस ने कहा कि देश में बढ़ते राक्षसी कार्यों को देखते हुए हमें जय श्री राम का अधिक जाप करना चाहिए। 

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केरल के थ्रिसुर इलाके में रामकथा कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे जैकब थॉमस ने ऐसा बयान दिया कि आज वह राष्ट्रीय समाचारों में छाए हुए हैं। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए थॉमस ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि हमें जय श्री राम के नारे को अधिक तीव्रता से जपना चाहिए, जितनी तीव्रता से अभी तक हम जप रहे थे। इसी के साथ थॉमस ने भगवान राम को सत्य, धार्मिकता, न्याय और सदाचारी का अवतार बताया।

उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा देश नहीं बन सकते जहां पर जय श्रीराम का नारा लगाना गैरकानूनी करार दिया जाए। यह सही समय है जब हमें जय श्रीराम को अधिक से अधिक बोलना चाहिए। इसी के साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां पर हम भगवान राम की जय नहीं कर सकते? अगर ऐसा हो गया है तो हमें सोचना चाहिए कि क्या हम बुरे बन गए हैं। जरा सोचो... इसी बीच थॉमस ने जय श्री राम के नारे के साथ अपनी बात खत्म की।

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कौन हैं जैकब थॉमस  

पुलिस महानिदेशक जैकब थॉमस को 2 साल पहले निलंबित कर दिया गया था। उन पर सर्विस रूल के उल्लंघन का मामला चलाया गया था। वे इस दौरान सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक थे। जैकब थॉमस के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कराई गई सिर्फ इसलिए कि उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी। एफआईआर के मुताबिक जैकब थॉमस पर आत्मकथा में कथिततौर पर सरकारी गोपनीयता का खुलासा किया गया और उन्होंने जो भी गोपनीय जानकारी अपनी किताब में प्रकाशित की उसका ब्यौरा उन्हें सतर्कता निदेशक रहते हुए मिला था। 

ऐसे में आरोप लगा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा में गोपनीय चीजें लिखकर पुलिस बल से जुड़े कानून का उल्लंघन किया। इस तरह के आरोप लगने के बाद जैकब थॉमस ने कहा था कि आत्मकथा लिखने के लिए किसी की भी इजाजत की जरूरत नहीं होती, वह तो साहित्य की श्रेड़ी में आता है। इसी के साथ उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को भी खारिज कर दिया था और कहा था कि किताब में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है और जो कुछ लिखा है वह पब्लिक डोमेन में है। 

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