Shubhendu Adhikari ने राजभवन के बाहर धरना दिया, कहा-वास्तविक मतदाता उपचुनाव में मतदान नहीं कर सके

Shubhendu Adhikari
प्रतिरूप फोटो
ANI
Prabhasakshi News Desk । Jul 14 2024 10:04PM

शुभेन्दु अधिकारी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीट पर हाल में हुए उपचुनाव में हजारों वास्तविक मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करने दिया। कुणाल घोष ने कहा कि हर चुनाव में पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा भाजपा को बार-बार खारिज किए जाने से अधिकारी जैसे नेताओं में निराशा पैदा हुई है।

कोलकाता । भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेन्दु अधिकारी ने रविवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीट पर हाल में हुए उपचुनाव में हजारों वास्तविक मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करने दिया। राज्य में चुनाव बाद झड़पों के मुद्दे पर रविवार को कोलकाता में राजभवन के बाहर धरना देने वाले अधिकारी ने कहा कि वह ऐसे 100 मतदाताओं को राजभवन लाएंगे और उनसे निर्वाचन आयोग में औपचारिक शिकायत करने के लिए कहेंगे। आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने कहा कि हर चुनाव में पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा भाजपा को बार-बार खारिज किए जाने से अधिकारी जैसे नेताओं में निराशा पैदा हुई है। 

जिन्होंने पूर्व में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में सीट जीतने के दावे किए थे। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की सभी चार विधानसभा सीट पर जीत हासिल की जहां 10 जुलाई को उपचुनाव हुआ था। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘मैं राजभवन के सामने 100 वंचित मतदाताओं को भी इकट्ठा करूंगा और मीडिया के सामने उजागर करूंगा कि मतदान के दिन तृणमूल कांग्रेस द्वारा उन्हें कैसे डराया गया था। वे खुद अपने अनुभव सुनाएंगे।’’ नंदीग्राम से विधायक अधिकारी और तापस रॉय तथा रुद्रनील घोष जैसे अन्य भाजपा नेताओं ने अपनी पार्टी के 300 कार्यकर्ताओं के साथ राजभवन के बाहर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। 

अधिकारी की याचिका के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भाजपा को राजभवन के बाहर चार घंटे तक धरना देने की अनुमति दी थी। भाजपा नेता ने एक उदाहरण दिया था कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पिछले साल पांच अक्टूबर को उसी स्थान पर इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था। अधिकारी ने कहा कि भाजपा 21 जुलाई के दिन को ‘लोकतंत्र के मृत्यु दिवस’ के रूप में मनाएगी। 

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्य में 2011 में सत्ता संभालने के बाद असहमति को दबा दिया है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। वर्ष 1994 से तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई के दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाती है। तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि 21 जुलाई सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि बंगाल के करोड़ों तृणमूल समर्थकों की भावनाओं से जुड़ी एक तारीख है। इक्कीस जुलाई 1993 को पुलिस की गोलीबारी में युवा कांग्रेस के 13 कार्यकर्ता मारे गए थे। उस समय माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था और ममता बनर्जी कांग्रेस में थीं। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि कैसे भाजपा उन पीड़ित परिवारों और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का अनादर कर रही है, जिन्होंने उन दिनों माकपा के अत्याचारों और आतंक का सामना किया था। विरोध के दिन के रूप में 21 जुलाई को चुनकर अधिकारी जैसे नेता अपनी सोच का दिवालियापन दिखा रहे हैं।

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