सीताराम येचुरी बोले- हिंदुत्व के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से लड़ना अहम चुनौती

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मार्क्सवादी पार्टी की 23वीं पार्टी कांग्रेस के समापन के एक दिन बाद सीताराम येचुरी एक संवाददाता सम्मेलन में येचुरी ने कहा कि हिंदुत्व के सांप्रदायिक एजेंडे से सीधे मुकाबला करना होगा और इसे राजनीतिक, वैचारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और संगठनात्मक रूप से करना होगा।

कन्नूर (केरल)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि हिंदुत्व के सांप्रदायिक एजेंडे से सीधे टकराना होगा और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सभी प्रयास का हर स्तर पर मुकाबला करना होगा, जो मार्क्सवादी पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती है, खासकर हिंदी भाषी राज्यों में। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तरी राज्यों के अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र का भी “तेजी से और सबसे खतरनाक रूप से सांप्रदायिकरण” किया जा रहा है, अब असम में यह हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका भविष्य में बहुत गंभीर परिणाम होगा। 

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मार्क्सवादी पार्टी की 23वीं पार्टी कांग्रेस के समापन के एक दिन बाद उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में येचुरी ने कहा, “हिंदुत्व के सांप्रदायिक एजेंडे से सीधे मुकाबला करना होगा और इसे राजनीतिक, वैचारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और संगठनात्मक रूप से करना होगा।” उन्होंने कहा ‘’वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध सभी सामाजिक तंत्रों का उपयोग करते हैं और इसका हर स्तर पर मुकाबला करना होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या माकपा की हिंदी भाषी राज्यों के लिए कोई विशेष योजना है, वरिष्ठ वाम नेता ने कहा कि पार्टी की राजनीतिक संगठनात्मक रिपोर्ट में उल्लिखित चीजों को कैसे लागू किया जाए, इस पर चर्चा करने के लिए जल्द ही उन राज्यों में पार्टी सचिवों की एक बैठक बुलाई जाएगी। उन्होंने कहा, “यह मूल रूप से हिंदुत्व सांप्रदायिक एजेंडे से मुकाबले के लिए है…इससे सीधे निपटने की जरूरत है…।’’ 

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देश के वास्तविक मुद्दों और संघर्ष को कथित तौर पर ध्रुवीकरण के जरिए दबाए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए येचुरी ने कहा कि ऐसे विषय मुख्यधारा की कहानी का हिस्सा नहीं बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा के विमर्श को लगातार ध्रुवीकृत सांप्रदायिक स्थिति में ले जाया जाता है और इसे रोका जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री की आज की व्यस्तता या तो हिजाब है या हलाल या अज़ान। उन्होंने कहा कि ये उनके (प्रधानमंत्री के) लिए महत्वपूर्ण मुद्दे हैं न कि बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं और किसानों की बढ़ती आत्महत्या, बढ़ती गरीबी या पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में दैनिक वृद्धि। उन्होंने कहा, “इसलिए हमें इस विमर्श को इस ध्रुवीकरण से दूर करने की जरूरत है .. और यह एक बड़ी चुनौती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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