संयुक्त किसान मोर्चा ने MSP का घोषणापत्र में जिक्र नहीं होने को लेकर BJP की आलोचना की

United Kisan Morcha
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ANI

एसकेएम ने बयान में कहा, ‘‘मोदी की गारंटी के रूप में जारी किये गए भाजपा के घोषणा पत्र में ‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत’ फार्मूले के आधार पर एमएसपी, उपज खरीद की गारंटी, किसानों की आत्महत्या और कर्ज माफी का कोई उल्लेख नहीं है।’’

नयी दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को कहा कि स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाये गए ‘फार्मूले’ पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणा पत्र में कोई जिक्र नहीं है और इसे किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए एक ‘‘खुली चुनौती’’ बताया। एसकेएम ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा का चुनाव घोषणा पत्र देश में कृषि संकट पर खामोश है और यह (एसकेएम) भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए अपने अभियान को तेज करेगी। 

बयान में कहा गया है कि यहां तक कि किसानों की आत्महत्याएं भी जारी हैं। एसकेएम ने बयान में कहा, ‘‘मोदी की गारंटी के रूप में जारी किये गए भाजपा के घोषणा पत्र में ‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत’ फार्मूले के आधार पर एमएसपी, उपज खरीद की गारंटी, किसानों की आत्महत्या और कर्ज माफी का कोई उल्लेख नहीं है।’’ एसकेएम ने कहा, ‘‘घोषणा पत्र में मुद्रास्फीति और महंगाई का संदर्भ दिये बिना कहा गया है-‘समय-समय पर एमएसपी बढ़ाएंगे’। गंभीर कृषि संकट पर भाजपा का घोषणा पत्र जानबूझ कर चुप्पी साधे हुए है।’’ 

इसने कहा, ‘‘अन्य राजनीतिक दलों ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में, कृषि संकट और स्वामीनाथन आयोग द्वारा सिफारिश की गई लाभकारी एमएसपी की जरूरत पर स्पष्ट रूख अपनाया है।’’ बयान में कहा गया है कि प्रति वर्ष 6,000 रुपये की प्रधानमंत्री सम्मान निधि का मतलब किसान परिवार के लिए हर महीने महज 500 रुपये है। इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, 2014-2022 के दौरान 1,00,474 किसानों और 3,12,214 दिहाड़ी मजदूरों -- कुल 4,12,688 व्यक्तियों ने आत्महत्या की, लेकिन (नरेन्द्र) मोदी सरकार ने 2014 के चुनाव घोषणा पत्र में किये गए भाजपा के वादे के बावजूद किसान और खेत मजदूर परिवारों को एक रुपये की भी कर्ज राहत नहीं दी।’’ 

बयान में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार के पिछले नौ वर्षों के दौरान-वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2022-23 तक, वाणिज्यिक बैंकों ने कॉरपोरेट घरानों के करीब 14.55 लाख करोड़ रुपये के रिण बट्टा खाता में डाले हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘चुनाव घोषणा पत्र 2024 में, भाजपा कृषि संकट के गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि देश में प्रतिदिन 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।’’ 

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बयान के अनुसार, एसकेएम भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र 2024 को पूरे भारत के किसानों और खेत मजदूरों को एक खुली चुनौती के तौर पर देखता है और इसका जवाब ‘‘भाजपा को बेनकाब करो, विरोध करो, दंडित करो’’ अभियान को तेज कर किया जाना चाहिए। एसकेएम ने 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसने कहा कि राज्य स्तरीय समन्वय समितियां अभियान के स्वरूप की और कृषि संकट का हल करने के महत्व पर चर्चा के लिए अधिक से अधिक गांवों में तथा लोगों तक पहुंचने के तरीकों की स्थानीय स्तर पर योजना बनाएंगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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