स्मृति मोरारका को नारी शक्ति पुरस्कार, बुनकरी कला को संकट से उबारने पर राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

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[email protected] । Mar 9 2019 4:01PM

श्रीमती मोरारका को यह सर्वोच्च नारी शक्ति पुरस्कार बनारस की हथकरघा कला के संरक्षण, उसको बढ़ावा देने और इसके प्रसार के लिए प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा है कि यह पुरस्कार इस क्षेत्र में कार्यरत सभी के लिए उत्साहवर्धन करने वाला है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 41 महिलाओं और तीन संस्थानों को भारत में महिलाओं के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ का वितरण किया। राष्ट्रपति ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक विशेष समारोह में वर्ष 2018 के लिए ये पुरस्कार प्रदान किये। पुरस्कार पाने वालों में तन्तुवी की संस्थापक श्रीमती स्मृति मोरारका, भारत की पहली महिला मरीन पायलट रेशमा निलोफर, तेजाब हमले की पीड़ित से कार्यकर्ता बनीं प्रज्ञा प्रसून और भारत में इकलौती महिला कमांडो प्रशिक्षक सीमा राव शामिल हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की मौजूदगी में राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में पुरस्कार दिए गए।

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नारी शक्ति पुरस्कार को गौरव का विषय बताते हुए श्रीमती स्मृति मोरारका ने कहा कि यह बनारस की हथकरघा कला को और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा और उत्साह प्रदान करता है। श्रीमती मोरारका को यह सर्वोच्च नारी शक्ति पुरस्कार बनारस की हथकरघा कला के संरक्षण, उसको बढ़ावा देने और इसके प्रसार के लिए प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा है कि यह पुरस्कार इस क्षेत्र में कार्यरत सभी के लिए उत्साहवर्धन करने वाला है क्योंकि इससे इस कला के प्रति आज की पीढ़ी की भी रुचि बढ़ेगी। 

श्रीमती मोरारका बनारस के हथकरघा उद्योग के संरक्षण और इस समुदाय के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं और हाल ही में उन्होंने इस कला के विभिन्न पहलुओं, हथकरघा उद्योग के समक्ष खड़ी चुनौतियों आदि पर एक फिल्म 'बुनकर- द लास्ट ऑफ द वाराणसी वीवर्स' में एक साक्षात्कार भी दिया था। इस फिल्म में बारीकी से मुद्दों का विश्लेषण करते हुए बड़ी शिद्दत के साथ यह सवाल उठाया गया था कि क्यों हम एक पारम्परिक कला को मरते हुए देख रहे हैं। 

श्रीमती मोरारका ने एक साक्षात्कार में कहा कि आज भी दुनिया में भारतीय हस्तशिल्प का बोलबाला है लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि हथकरघा उद्योग का मशीनीकरण हो जाने के चलते पारम्परिक बुनकर बेरोजगार हो चले हैं, जिन परिवारों में पीढ़ियों से बुनकरी खानदानी पेशे के रूप में चली आ रही थी, वहां नयी पीढ़ी इस परम्परा को आगे ले जाने में हिचक रही है। बनारसी साड़ियां अपनी गुणवत्ता, खूबसूरती और बेहतरीन कारीगरी के लिए विश्व विख्यात हैं। शादी के समय दुलहन को लहँगे पहनने का चलन तो बॉलीवुड फिल्मों ने शुरू किया वरना कुछ समय तक हर लड़की की यही चाहत होती थी कि फेरों के समय वह बनारसी साड़ी ही पहने। उन्होंने कहा कि तनुवी का प्रयास है कि बुनकरी कला के प्रति लोगों में फिर से रूझान बढ़े और हम इसके लिए दिन-रात प्रयासरत हैं और इस उद्योग को नई तकनीक से भी रूबरू करा रहे हैं ताकि कारीगरों का काम आसान हो सके।

इस वर्ष का महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार लखनऊ के वन स्टॉप सेंटर, कसाब-कच्छ क्राफ्ट्सवुमेन प्रोड्यूसर और तमिलनाडु के सामाजिक कल्याण एवं पौष्टिक भोजन कार्यक्रम विभाग को भी दिया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय महिला सशक्तीकरण और सामाजिक कल्याण के लिए अथक सेवा करने वाली महिलाओं और संस्थाओं को पुरस्कृत करता है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इस साल मंत्रालय को करीब 1000 नामांकन मिले थे और इनमें से 44 प्रविष्टियों को पुरस्कार के लिए चुना गया।

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