एल्गार मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे जेल से रिहा हुए

Social activist Anand Teltumbde
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उच्चतम न्यायालय ने उन्हें मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी थी। ढाई साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद तेलतुंबडे (73) दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर जेल से बाहर आये।

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे को शनिवार को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी थी। ढाई साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद तेलतुंबडे (73) दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर जेल से बाहर आये। रिहा होने के बाद तेलतुंबडे ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘31 महीनों के बाद जेल से रिहा होने पर मैं खुश हूं।

यह होना ही था लेकिन दुख की बात यह है कि यह सबसे झूठा मामला है और इसने हमें सालों तक सलाखों के पीछे रखा है।’’ तेलतुंबडे को बंबई उच्च न्यायालय से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एनआईए की अर्जी शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी। इसके बाद, जमानत औपचारिकताएं पूरी करने पर उन्हें रिहा कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने 18 नवंबर को तेलतुंबडे को जमानत दी थी। उन्हें एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया किसी भी आतंकवादी गतिविधियों में उनके शामिल होने का कोई सबूत नहीं है। तेलतुंबडे इस मामले में गिरफ्तार किये गये 16 लोगों में तीसरे ऐसे आरोपी हैं जिन्हें जमानत पर रिहा किया गया है। कवि वरवर राव फिलहाल स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं जबकि वकील सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर हैं। यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण से जुड़ा है।

पुलिस का दावा था कि इसी भाषण के चलते पश्चिमी महाराष्ट्र के इस शहर में अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी। पुणे पुलिस ने यह दावा भी किया था कि यह सम्मेलन माओवादियों से कथित संबंध वाले व्यक्तियों द्वारा आयोजित किया गया था। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आठ जनवरी, 2018 को पुणे पुलिस द्वारा प्रथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में इस मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथों में ले ली थी। तेलतुंबडे ने दावा किया था कि वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे।

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