Yes, Milord! राजीव हत्याकांड के दोषियों की रिहाई, ज्ञानवापी पर हिंदू पक्ष को राहत, इस हफ्ते के कोर्ट के कुछ खास जजमेंट/ऑर्डर

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Nov 12 2022 6:57PM

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से अदालतों में जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, कॉलिजियम की ओर से हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर नाम सुझाए गए हैं लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 7 नवंबर से 12 नवंबर 2022 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। 

राजीव गांधी के दोषियों की रिहाई

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन समेत छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का निर्देश दिया। अगालत ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को सजा में छूट देने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 303 के तहत दोषी एक अपीलकर्ता की सजा में छूट के मामले में राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सलाह मानने को बाध्य है। इस मामले में राज्य सरकार ने सजा माफी की सलाह 2018 में राज्यपाल को दी थी। क्या है पूरा मामला आपको शॉर्टकट में बता देते हैं। दरअसल, राजीव गांधी की हत्या में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संतन और श्रीहरन के मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। नलिनी की मौत की सजा भी आजीवन कारावास में बदली गई। नलिनी वेल्लोर जेल में 30 से अधिक वर्षों तक बंद रही, जबकि रविचंद्रन ने 37 साल कैद काटी। दोनों ने समय से पहले रिहाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

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कॉलिजियम सिफारिशों पर फैसला नहीं लेने से सुप्रीम कोर्ट नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से अदालतों में जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, कॉलिजियम की ओर से हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर नाम सुझाए गए हैं लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया। जस्टिस किशन कौल के नेतृत्व वाली बेंच ने कानून सचिव से इस कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र की ओर से पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि नामों पर कोई फैसला न लेना ऐसा तरीका बनता जा रहा है कि उन लोगों को अपनी सहमति वापस लेने को मजबूर किया जाए, जिनके नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्ति के लिए की गई है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।

'शिवलिंग' संरक्षित रखेगा

वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद का मामला अब धीरे-धीरे गरमाने लगा है। लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस विवादित मसले पर कई याचिकाएं पड़ी हुई हैं। सुनवाई चल रही है। करीब 103 साल से जारी कानूनी लड़ाई का कोई अभी तक हल नहीं निकल पाया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक शिवलिंग को संरक्षित रखने का अपना आदेश बरकरार रखा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद में 17 मई से चल रही यथास्थिति बरकार रहेगी

सर्वेक्षण पर HC में मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराने के फैसले पर सुनवाई होगी। इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के एएसआई से सर्वे कराने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

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सिविल कोर्ट में चल रही नियमित पूजा की मांग पर सुनवाई

वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को हिंदू पक्ष आदि विश्वेश्वर महादेव बता रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि अगर भगवान की मूर्ति या संरचना कहीं मिलती है तो उसकी पूजा अर्चना शुरू करानी होती है। यह हमारा अधिकार है।  इस मामले में वाराणसी कोर्ट ने 5 दिसंबर को अगली सुनवाई करने की बात कही है।

पराली जलाने पर रोक वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने के संबंध में नये दिशानिर्देश जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील शशांक शेखर झा से पूछा कि क्या केवल पराली जलाने पर रोक लगाने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण में मदद मिलेगी।  पराली जलाने से प्रदूषण होने की बात पर पीठ ने कहा, ‘‘तो हम इस पर प्रतिबंध लगा दें? क्या इससे रुक जाएगा? क्या हम इसे हर किसान पर लागू करें? कुछ उचित समाधान सोचिए। कुछ चीजें हैं जिनमें अदालतें कुछ कर सकती हैं और कुछ चीजों में अदालतें नहीं कर सकतीं। 

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सीजेआई का शपथ

 जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में 9 नवंबर को पद की शपथ ली। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद, निजता का अधिकार जैसे अहम मुकदमों में फैसला देने वाली अहम पीठ का हिस्सा रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। उन्होंने ईश्वर के नाम पर अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था। वह 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए। 

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