मोदी लहर में सोनिया ने एक बार फिर किया साबित, क्यों उनके नाम सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का है रेकॉर्ड

झाऱखंड में महागठबंधन सरकार बनने की ओर कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी द्वारा खुद की सीट अमेठी गंवा देने के बाद उनकी साख और साहस दोनों ने जवाब दे दिया था। कांग्रेस फिर से एक बार गांधी परिवार के आसरे आकर टिकी और पार्टी की खोझ एक बार फिर सोनिया गांधी पर आकर रूकी।
15 नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आए झारखंड का यह चौथा विधानसभा चुनाव 2019 संपन्न हो गया और इसके मुख्यमंत्री को पद पर कौन बैठेगा उसको लेकर वोटों की गिनती जारी है। घनघोर राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहे इस नवगठित राज्य ने एक निर्दलीय विधायक (मधु कोड़ा) के नेतृत्व में भी सरकार बनती देखी है! पहली बार जब 2005 में चुनाव हुए तो बीजेपी सबसे बड़ा दल बन कर उभरी थी और 2009 में जेएमएम। दोनों बार स्पष्ट बहुमत राज्य की जनता ने किसी को नहीं दिया था। हालांकि बीजेपी ने आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के साथ 2014 में चुनाव लड़कर पहली बार स्पष्ट बहुमत (कुल 81 में दोनों के 42 विधायक) हासिल किया था। लेकिन 2019 में सत्तारूढ़ बीजेपी जनविरोधी लहर का सामना करने के साथ-साथ गठबंधन के संकट से भी बुरी तरह जूझ रही है। शुरूआती रूझान में महागठबंधन को 40 सीटें मिलती दिखाई दे रही है। वहीं बीजेपी बहुमत से पिछड़ते हुए 28-29 सीटों पर सिमटती दिख रही है। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे में बीजेपी के लिए परिणाम हरियाणा जैसे ही लग रहे हैं। झारखंड चुनाव में हरियाणा से हालात थोड़े अलग थे। हरियाणा में बीजेपी भी अकेले चुनाव लड़ रही थी और कांग्रेस की तरह दूसरी पार्टियां भी। झारखंड में एक तो बीजेपी का आजसू से गठबंधन टूट गया और दूसरी तरफ जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने महागठबंधन बना कर बीजेपी को चैलेंज किया था।
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