बजट में विलंब करने में अपनायी प्रक्रिया की जानकारी मांगी
चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिवालय से साल 2012 में केंद्रीय बजट पेश करने में विलंब करने में सरकार द्वारा अपनायी गई प्रक्रिया समेत अन्य बातों की नये सिरे से जानकारी मांगी है।
चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिवालय से साल 2012 में केंद्रीय बजट पेश करने में विलंब करने में सरकार द्वारा अपनायी गई प्रक्रिया समेत अन्य बातों की नये सिरे से जानकारी मांगी है। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट सचिवालय को कल लिखे एक अन्य पत्र में आयोग ने शुक्रवार सुबह तक जवाब देने को कहा है। चुनाव आयोग ने केंद्रीय बजट तैयार करने और पेश करने से जुड़ी प्रक्रिया का विस्तृत ब्यौरा मांगा है। जब साल 2012 में विपक्ष ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आपत्ति व्यक्त की थी तब तत्कालीन संप्रग सरकार ने उनका रूख स्वीकार कर लिया था और केंद्रीय बजट पेश करने को 28 फरवरी से आगे बढ़ाकर 16 मार्च कर दिया था।
10 जनवरी को सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले बजट पेश करने की विपक्ष की शिकायत पर आयोग को जवाब देते हुए इस संबंध में बजट सत्र को समय से पहले बुलाने के निर्णय का बचाव किया है।
चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिवालय से विपक्षी दलों के ज्ञापन पर जवाब देने को कहा था। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि वह सरकार से विधानसभा चुनाव पूरा होने तक बजट को स्थगित करने को कहे। समझा जाता है कि सरकार ने केंद्रीय बजट को वार्षिक संवैधानिक कार्य बताया है जो केवल कुछ राज्यों तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि पूरे देश से जुड़ा होता है। इसे विपक्ष के आरोपों को खारिज करने के रूप में देखा जा रहा है जिनका आरोप है कि बजट का उपयोग उन राज्यों में मतदाताओं को लुभाने के लिए किया जा रहा है जहां चुनाव होने हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि बजट को समय से पहले पेश किया जाना इसलिए जरूरी था कि इससे विभिन्न बजटीय प्रावधानों का आवंटन एक अप्रैल से किया जाना सुनिश्चित किया जा सके। केंद्रीय बजट आमतौर पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में पेश किया जाता है जिसके कारण बजटीय प्रावधानों को मंजूरी देते हुए समय अगले वित्त वर्ष में प्रवेश कर जाता है और इसके कारण नये कार्यक्रमों को शुरू करने में देरी होती है।
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