बिहार के बाद UP पहुंची जातीय जनगणना की आंच, अखिलेश बोले- हम इसके पक्ष में, आगे क्यों नहीं बढ़ रही सरकार

Akhilesh Yadav
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अखिलेश यादव ने कहा कि सपा इस पक्ष में है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, जब सरकार कह रही है हम डेटा सेंटर बनाएंगे, डेटा सेंटर के लिए निवेश कर रहे हैं तो सरकार आगे क्यों नहीं आती है कि जातीय जनगणना भी करें। उन्होंने कहा कि सरकार वो आंकड़े दे कि इतने किसानों का गन्ने का पैसा बकाया है।

लखनऊ। बिहार में जनजातीय जनगणना को लेकर जमकर सियासत हो रही है और एक जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। ऐसे में जनजातीय जनगणना की आंच पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। जहां पर नेता प्रतिपक्ष और समाजवाजी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव जनजातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा इसके पक्ष में है। 

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी इस पक्ष में है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, जब सरकार कह रही है हम डेटा सेंटर बनाएंगे, डेटा सेंटर के लिए निवेश कर रहे हैं तो सरकार आगे क्यों नहीं आती है कि जातीय जनगणना भी करें।

उन्होंने कहा कि सरकार वो आंकड़े दे कि इतने किसानों का गन्ने का पैसा बकाया है। इस सरकार मे जहां बिजली महंगी हो गई हो, खाद महंगी और कोई भी इंतजाम मंडी का नहीं किया... गेहूं की खरीद में कहीं भी सरकारी खरीद नहीं हुई, सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों से मिल गई।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। जहां पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिल रही है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान भी सपा के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया और तख्तियां दिखाईं। इस दौरान सपा के एक विधायक के हाथ में जनजातीय जनगणना की मांग वाली तख्ती देखी गई थी। 

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आखिरी बार कब हुई थी जातीय जनगणना ?

जातीय जनगणना की मांग ने पिछले कुछ समय से बिहार में जोर पकड़ा है। शुरुआत में पार्टियों का विचार था कि यह केंद्र द्वारा कराया जाएगा। जाति आधारित आखिरी जनगणना 1921 में हुई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर इसकी मांग की थी। हालांकि, केंद्र सरकार ने अंततः अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य सामाजिक समूहों की गणना कराने में असमर्थता व्यक्त की।

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