PG पाठ्यक्रमों में सरकारी चिकित्सकों को आरक्षण देने का राज्यों को है अधिकार: शीर्ष अदालत
पीठ ने कहा कि एमसीआई एक सांविधिक संस्था है तथा आरक्षण संबंधी प्रावधान बनाने का उसे कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन तथा अन्य की याचिका पर दिया गया।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्यों को दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी चिकित्सकों को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण देने संबंधी विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि राज्यों के पास आरक्षण संबंधी विशेष प्रावधान बनाने के लिए विधायी अधिकार है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह के आरक्षण पर पाबंदी लगाने वाला भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) का नियम मनमाना एवं असंवैधानिक है।
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पीठ ने कहा कि एमसीआई एक सांविधिक संस्था है तथा आरक्षण संबंधी प्रावधान बनाने का उसे कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन तथा अन्य की याचिका पर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि आरक्षण लाभ देने से सरकारी अस्पतालों तथा ग्रामीण इलाकों में कार्यरत पेशेवरों को प्रोत्साहन मिलेगा। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत शरण, न्यायमूर्ति एमआर शाह तथा न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस भी इस पीठ में शामिल हैं।
Supreme Court allows states to grant benefit of reservation of seats to in-service doctors in NEET Post Graduate degree courses.
— ANI (@ANI) August 31, 2020
A 5-judge bench said that Medical Council of India has no power to provide or not provide reservation for in-service doctors in admission to PG courses pic.twitter.com/yJpChjXMiI
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