‘भावनात्मक जुड़ाव’ के साथ छात्र-छात्राओं ने किसानों के साथ एकजुटता प्रकट की

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केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर कई विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी जुड़े हैं और वे ‘डफली’ लेकर किसानों की तकलीफों के गीत गा रहे हैं।

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर कई विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी जुड़े हैं और वे ‘डफली’ लेकर किसानों की तकलीफों के गीत गा रहे हैं। पंजाब विश्वविद्यालय की छात्रा और चंडीगढ़ की रहनेवाली अर्पण ने बताया कि वह किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी हैं क्योंकि इसका उनकी जमीन के साथ ‘भावनात्मक जुड़ाव’ है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां किसानों को समर्थन देने के लिए आए हैं। हम यहां किसानों के साथ रह रहे हैं और लंगर में खाना खा रहे हैं। हम पंजाबी और हिंदी में गाना गा रहे हैं और किसानों की स्थितियों को बयां कर रहे हैं।’’

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हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों से 25 से 30 विद्यार्थी सिंघू बॉर्डर पर आए हैं। ये विद्यार्थी सड़कों पर बैठे हैं और किसानों द्वारा झेली जा रही समस्याओं को बताते हुए तालियों और डफलियों के साथ उसे गा रहे हैं।

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र अंकित ने कहा कि वह हरियाणा के झज्जर जिले से किसानों के साथ सिंघू बॉर्डर आए हैं। वहीं दिल्ली के भी कुछ विद्यार्थी यहां पहुंचे हैं। सिंघू बॉर्डर पर पहुंचने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़नेवाले छात्र फिरोज आलम कहते हैं, ‘‘ एक छात्र के तौर पर मैं यहां किसानों को अपना समर्थन देने आया हूं और तब तक यहां से नहीं हूटंगा जब तक मांगे मान न ली जाएं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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