मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के ऑडियो टेप पर सुप्रीम कोर्ट ने FSL की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया, फिर से जांच का दिया आदेश

Biren Singh
ANI
अभिनय आकाश । May 5 2025 6:06PM

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह केंद्रीय एफएसएल से ऑडियो टेप की पुनः जांच कराने और एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त करें।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से संबंधित लीक हुए ऑडियो टेप पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत सीलबंद लिफाफे में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया और सरकार को एक “नई” रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि केंद्रीय एफएसएल को उन ऑडियो फाइलों की फिर से जांच करनी होगी, जिनमें सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा रहा है कि राज्य में जातीय हिंसा उनके आग्रह पर भड़काई गई थी, और फिर एक नई रिपोर्ट पेश करनी होगी। 

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पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह केंद्रीय एफएसएल से ऑडियो टेप की पुनः जांच कराने और एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त करें। सॉलिसिटर जनरल द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश की गई रिपोर्ट की जांच के बाद कोर्ट ने यह निर्देश जारी किए। रिपोर्ट पढ़ने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह क्या है? आपको (केंद्र सरकार को) अपने अधिकारियों से इस बारे में बात करनी चाहिए। इसकी सामग्री पढ़ें और फिर कार्यालयों से बात करें, कृपया जांच करें और नई रिपोर्ट लेकर आएं। हालांकि एसजी मेहता ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से रिपोर्ट की सामग्री की जांच नहीं की है और इसलिए, इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि न तो न्यायपालिका और न ही केंद्र सरकार से किसी की रक्षा करनेकी उम्मीद की जाती है।

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सर्वोच्च न्यायालय कुकी संगठन द्वारा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें टेपों की न्यायालय की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि वे मणिपुर में मीतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष को बढ़ावा देने में सीएम की संलिप्तता के सबूतों का खुलासा करते हैं, जो मई 2023 में शुरू हुआ और इस साल फरवरी तक चला। हिंसा ने 230 से अधिक लोगों की जान ले ली और पूर्वोत्तर राज्य में हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा।

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