Yes Milord! दिल्ली में संतुलन की 'सुप्रीम' तलाश, शिवसेना विवाद पर 14 फरवरी को सुनवाई, लखीमपुर केस में लगेंगे पांच साल

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अभिनय आकाश । Jan 13 2023 6:23PM

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 09 जनवरी से 13 जनवरी 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी अहम रहा। जहां एक तरफ दिल्ली में अधिकार को लेकर केंद्र और केजरीवाल सरकार के बीच चल रहे विवाद के सुप्रीम निपटारे की तलाश जारी रही। वहीं जोशीमठ मामले में जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को खामियों वाला बताया। तो वहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए दो राज्यों की ओर से बनाई गई कमिटियों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 09 जनवरी से 13 जनवरी 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

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दिल्ली में चुनी हुई सरकार की जरूरत क्या है 

दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं का अधिकार किसके पास होना चाहिए। इसे लेकर केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच तनातनी जारी है। अब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राष्ट्रीय राजधानी को संघ का विस्तारित क्षेत्र करार देने संबंधी केंद्र की दलीलों पर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में निर्वाचित सरकार की आवश्यकता को लेकर सवाल उठाया। राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर तीसरे दिन सुनवाई कर रही संविधान पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली का एक ‘‘अद्वितीय दर्जा’’ है और वहां रहने वाले सभी राज्यों के नागरिकों में ‘‘अपनेपन की भावना’’ होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। एक फैसले का हवाला देते हुए, विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘दिल्ली एक महानगरीय शहर है और यह लघु भारत की तरह है।

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लखीमपुर केस में लगेंगे पांच साल 

लखीमपुर खीरी मामले का ट्रायल पूरा होने में पांच साल तक का वक्त लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पूछे जाने पर मामले का ट्रायल करने वाले अडिशनल सेशन जज ने कोर्ट को यह जानकारी दी है। लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री के वेटे आशीष मिश्रा ने SC में जमानत अर्जी दाखिल कर रखी है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शन करते हुए किसान पर गाड़ी चला दी थी। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई थी।

जोशीमठ पर सुप्रीम कोर्ट में तुरंत सुनवाई नहीं

उत्तराखंड के जोशीमठ में जहां पल-पल गुजरने के साथ जमीन धंसने का संकट वढ़ता जा रहा है, वहीं जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि देश में इस तरह के मामले को देखने के लिए लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई संस्थाएं हैं। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हर महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए सीधे कोर्ट नहीं आना चाहिए। मामले की सुनवाई 16 जनवरी को होगी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से याचिका दी गई है। 

पीरियड्स में मिले छुट्टी

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि महिलाओं को पीरियड्स के समय छुट्टी दी जाए। शीर्ष अदालत में एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने याचिका में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की एक स्टडी का हवाला दिया है। स्टडी में कहा गया है की पीरियड्स के दौरान महिलाओं को काफी दर्द रहता है। ऐसे समय में किसी भी महिला की दर्द की स्थिति किसी भी आदमी के हार्ट अटैक में होने वाले दर्द जैसी होती है। ये दर्द काम काजी महिलाओं के काम की क्षमता को प्रभावित करता है। 

तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश को खामियों वाला बताया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज मामले में आपराधिक कार्यवाही सिर्फ इसलिए खारिज नहीं हो सकती कि तलाक की अर्जी पेंडिंग है। इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि दहेज की मांग का जो आरोप है, वह संभव नहीं हो सकता और कार्यवाही बोगस है। हाई कोर्ट ने तलाक का केस पेंडिंग रहने के दौरान क्रिमिनल केस को वोगस करार देते हुए खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने महिला की अपील पर हाई कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने जब आदेश पारित किया, उस वक्त मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी थी। पहली नजर में आरोपी के खिलाफ केस बनाया गया था। सिर्फ इसलिए कि महिला एड्स से पीड़ित है और उसके पति ने तलाक की अर्जी दाखिल की है, केस पेंडिंग है, इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि महिला की ओर से की गई दहेज प्रताड़ना की शिकायत विचार से परे है। इस आधार पर क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करना सही नहीं।

महाराष्ट्र सियासी संकट पर 14 फरवरी को सुनवाई

महाराष्ट्र सियासी संकट से उपजे सवालों पर अब सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने मामले में सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे ग्रुप की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा था कि वह नवाम रेविया जजमेंट के मामले में दलील पेश करेंगे और कहा कि मामले को सात जजों को रेफर किया जाना चाहिए। पिछली सुनवाई के दौरान भी सिब्बल ने कहा था कि मामले को सात जजों को रेफर किया जाना चाहिए रेविया जजमेंट में पांच जजों ने कहा था कि स्पीकर तब अयोग्यता की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा सकता है, जब स्पीकर को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव पेंडिंग हो।

 यूसीसी कमेटी गठन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए दो राज्यों की ओर से बनाई गई कमिटियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान राज्यों को ऐसी समितियां बनाने का अधिकार देता है। गुजरात और उत्तराखंड की सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पिछले दिनों कमेटियों का गठन किया था। राज्य सरकारों के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 

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