मीडिया के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत फैलाने की शिकायतों का पहले NBA करे निर्धारण: SC

Supreme Court

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन स्दस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर इस तरह के मुद्दों पर विचार के लिये कोई संस्था है तो पहले उसे इस पर गौर करना चाहिए।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि तबलीगी जमात के समागम को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने की शिकायतों पर पहले नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन जैसी संस्था को प्रारंभिक जांच करनी चाहिए। न्यायालय ने इससे पहले मीडिया के एक वर्ग द्वारा दिल्ली में इस आयोजन को लेकर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोपों के बारे में नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन और भारतीय प्रेस परिषद से रिपोर्ट मांगी थी। न्यायालय में ये आरोप जमीअत उलेमा-ए-हिन्द और पीस पार्टी की याचिकाओं में लगाये गये थे। 

इसे भी पढ़ें: ठाणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने तबलीगी जमात के 28 सदस्यों को रिहा करने का दिया आदेश 

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन स्दस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर इस तरह के मुद्दों पर विचार के लिये कोई संस्था है तो पहले उसे इस पर गौर करना चाहिए। पीठ ने मुस्लिम संगठनों के वकीलों से जानना चाहा कि वे राष्ट्रीय ब्राडकास्टिग एसोसिएशन जैसी नियामक संस्था के पास क्यों नहीं गये। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘अगर इस तरह के मुद्दे पर विचार के लिये एक संस्था है तो आप पहले उसके पास क्यों नहीं जा सकते। हम कार्रवाई का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन पहले इनका सत्यापन होना चाहिए।’’ 

इसे भी पढ़ें: तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए विदेशी नागरिकों को 'बलि का बकरा' बनाया गया: HC 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे इस सुझाव से सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि सरकार को संबंधित कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। इस पर एनबीए के वकील ने कहा कि उसे शिकायतें मिली हैं और मीडिया समूहों के खिलाफ कई शिकायतों का संज्ञान लिया गया है। इस नियामक संस्था के वकील ने कहा कि एनबीए कोई कंपनी नहीं है। इस संस्था की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए के सीकरी कर रहे हैं। इस पर न्यायालय ने इन याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि इन शिकायतों के बारे में एनबीए और भारतीय प्रेस परिषद से रिपोर्ट मंगायी जायेगी और उसी के आधार पर आवश्यक निर्देश दिये जायेंगे। न्यायालय जमीअत उलेमा-ए-हिन्द सहित कई संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इनमें ‘फर्जी खबरों’ पर रोक लाने और इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़