नोटबंदी पर वाम दलों ने प्रधानमंत्री को बनाया निशाना

नोटबंदी का विरोध करते हुए आज वाम दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह देश को एक ‘अभूतपूर्व वित्तीय संकट’ में धकेल रहे हैं और पूछा कि वह इस मुद्दे पर संसद में क्यों नहीं बोल रहे हैं। नोटबंदी के खिलाफ अपने भारत बंद के तहत प्रदर्शन करते हुए माकपा और भाकपा सहित सात वाम दलों ने 1000 और 500 रूपये के पुराने नोटों को अमान्य किए जाने को ‘गरीब विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक’ बताया। उन्होंने मांग की कि जब तक नये नोट उपलब्ध नहीं हो जाते हैं, तब तक सरकार लोगों को पुराने नोट का इस्तेमाल करने दे।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने विरोध के दौरान कहा, ‘‘90 फीसदी लोग रोजाना नकद लेन देन करते हैं। उनके जीवन पर बहुत असर पड़ा है। हम इस सब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।’’ संसद से प्रधानमंत्री की कथित गैर मौजूदगी को लेकर उन पर अपना हमला जारी रखते हुए वाम दलों ने सदन में उनकी ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया और उन्हें ‘नरेन्द्र मौन मोदी’ कहा। सदन में विपक्षी सांसद नोटबंदी पर चर्चा में उनसे जवाब देने की मांग कर रहे हैं। येचुरी ने दावा किया कि आठ नवंबर के फैसले से किसानों और दिहाड़ी मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन नोटबंदी के बताए जा रहे उद्देश्य के हासिल होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए 2000 रूपये के नोट से भ्रष्टाचार दोगुना होगा। येचुरी ने यह आरोप दोहराया कि भाजपा और जिनके पास कालाधन है, वे प्रधानमंत्री के कदम से ‘वाकिफ’ थे। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने इस फैसले से पहले कथित तौर पर बिहार में जमीन खरीदी। जिनके पास कालाधन है उन्होंने पहले ही उसका बंदोबस्त कर दिया।’’ राज्य सभा सदस्य ने सरकार से उन लोगों पर कार्रवाई करने को कहा जिनके विदेश स्थित बैंकों में कालाधन है। उन्होंने बैंकों के कर्ज चुकाने में नाकाम रहे कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की।
येचुरी ने आम चुनाव के दौरान मोदी द्वारा मनमोहन सिंह को ‘मौनमोहन सिंह’ कहे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति अब बदल गई है क्योंकि सिंह पिछले हफ्ते राज्य सभा में नोटबंदी पर बोले लेकिन प्रधानमंत्री खामोश रहे। माकपा नेता ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘अब यह एक संयोग है कि सिंह संसद में बोलें और प्रधानमंत्री खामोश रहें, अब नरेन्द्र मौन मोदी हो गए हैं। यह स्थिति है।’’
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने येचुरी के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि इस फैसले ने देश में अभूतपूर्व वित्तीय संकट पैदा किया है और लोगों को काफी परेशानी, पैसों की कमी और अपमान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब मोदी विपक्षी पार्टियों को खरी खोटी सुना रहे हैं जैसे कि हम सभी भ्रष्टाचार और कालाधन का बचाव कर रहे हैं। मोदी को समझना चाहिए कि वाम दल कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।’’ वाम नेता ने कहा कि यदि संसद नहीं चलती है तो मोदी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
इस बीच, राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को आरटीआई के दायरे में लाए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में येचुरी ने राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट से मिलने वाले धन को रोकने की मांग की। येचुरी और राजा के अलावा भाकपा (एमएल) लिबरेशन, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक, आरएसपी, एसयूसीआई (सी) और कम्युनिस्ट गदर पार्टी ऑफ इंडिया ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
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