सबरीमला की जगह गांवों में जाएं महिला कार्यकर्ता: तस्लीमा नसरीन

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[email protected] । Nov 17 2018 11:56AM

विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने आश्चर्य जताया कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए अत्यधिक उत्सुक क्यों हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जगह उन्हें गांवों में जाना चाहिए जहां महिलाएं अनेक मुद्दों से जूझ रही हैं।

तिरुवनंतपुरम। विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने आश्चर्य जताया कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए अत्यधिक उत्सुक क्यों हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जगह उन्हें गांवों में जाना चाहिए जहां महिलाएं अनेक मुद्दों से जूझ रही हैं। सबरीमला मंदिर दो महीने के तीर्थाटन के लिए शुक्रवार को खुल गया। स्लीमा ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझ पा रही हूं कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए इतनी उत्सुक क्यों हैं।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बेहतर होगा कि वे (महिला काार्यकर्ता) गांवों में जाएं जहां महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घृणा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और जहां लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है, जहां उन्हें नौकरी करने की स्वतंत्रता नहीं है या जहां उन्हें समान वेतन नहीं मिलता है।’’ खिका 1994 में अपने द्वारा लिखे गए उपन्यास से भड़के कट्टरपंथियों की धमकियों के चलते भारत और यूरोप में निर्वासन में रह रही हैं। बरीमला जाने के लिए शुक्रवार की सुबह कोच्चि पहुंचीं कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने अपनी योजना त्याग दी क्योंकि कोच्चि हवाईअड्डे के बाहर भाजपा के लोग, श्रद्धालु तथा अन्य लोग प्रदर्शन कर रहे थे। साई को हवाईअड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि वे उन्हें भगवान अय्यप्पा के मंदिर नहीं जाने देंगे। र्यकर्ता और उनके साथ पहुंचीं महिलाओं ने बाद में कोच्चि छोड़ने की घोषणा की।

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