Ghazwa-e-Hind II | हिंदू कुश का इतिहास क्यों है शर्मनाक | Teh Tak

हम अगर छोटी-छोटी घटनाओं पर गौर करें तो इतिहासकार केएस लाल ने अपनी रिसर्च में बताया है कि महमूद गजनी के वर्ष 1009 में भारत पर आक्रमण से लेकर 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई तक, मुसलमानों द्वारा 80 मिलियन हिंदू लोगों को मार डाला गया था।
लाखों-लाख यहूदियों को सिर्फ एक इंसान के पागलपन की वजह से मार दिया गया था। उन्हें टॉर्चर किया गया था और ऐसी-ऐसी कहानियां हैं कि रूह कांप उठे। होलोकॉस्ट का मतलब ही होता है पूरी तरह से खत्म कर देना। पूरे मास को स्लॉटर कर देना। ज्यूइश यानी यहूदियों पर ये हुआ था इसलिए इसे ज्यूइिश होलोकास्ट यानी यहूदी नरसंहार कहा जाता है। जर्मनी ने यूरोप पर कब्जा जमा लिया था। यहूदियों को खत्म करने का सिलसिला मई से पोलैंड में खुले ऑशविच कंस्ट्रेशन कैंप से शुरू हुआ था। 1941 से 1945 तक करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख सिर्फ बच्चे थे। कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए। कुछ कन्सनट्रेशन कैंप्स में क्रूरता के चलते तिल-तिल मरे। 27 मई जनवरी 1945 को सोवियत रेड आर्मी द्वारा आजाद किए जाने तक ऑशविच कैंप में 11 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी।
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इंडियन होलोकास्ट क्या है?
हम अगर छोटी-छोटी घटनाओं पर गौर करें तो इतिहासकार केएस लाल ने अपनी रिसर्च में बताया है कि महमूद गजनी के वर्ष 1009 में भारत पर आक्रमण से लेकर 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई तक, मुसलमानों द्वारा 80 मिलियन हिंदू लोगों को मार डाला गया था। इंडोलॉजिस्ट कोइनराड एल्स्ट ने अपनी किताब में लिखा है कि अब्दाली के आक्रमण तक लगभग 20 मिलियन हिंदुओं की मौत हुई। यह प्रवृत्ति भारत के विभाजन और बांग्लादेश की मुक्ति तक जारी रही। चित्तौड़ का किला हो या नोआखली, सोमनाथ या हिंदू कुश रेंज, भारत का इतिहास ऐसे जघन्य नरसंहार का गवाह रहा है।
हिंदू कुश का इतिहास क्यों है शर्मनाक
उत्तर भारत के इस्लामी आक्रमणकारियों द्वारा गुलामों के रूप में लिए गए हिंदुओं को हिंडको पहाड़ों के दर्रों के माध्यम से मध्य एशिया के गुलाम बाजारों में भेजा गया था। हिंडको पहाड़ों की कठोर जलवायु ने पहाड़ के दर्रों को पार करते हुए सैकड़ों हजारों की संख्या में भारतीय दासों को मार डाला। कुछ शताब्दियों में इतने लाखों भारतीय मारे गए कि हिंदको (जिसका अर्थ है भारतीय पर्वत) का नाम बदलकर हिंदुकुश (हिंदुओं का हत्यारा) कर दिया गया।
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